संयुक्त राष्ट्र, 24 दिसंबर संयुक्त राष्ट्र ने इस साल अपने 75 वर्ष पूरे किये हैं और उसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सबसे बड़े संकट का सामना किया है तथा कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए वैश्विक कार्रवाई को दिशा दी जिसमें भारत ने भी आगे रहकर मोर्चा संभाला तथा 150 से अधिक देशों को मदद पहुंचाई।
इस साल की शुरुआत में कोविड-19 के प्रकोप को नियंत्रित करने के मकसद से दुनिया के विभिन्न देशों ने अपनी सीमाएं और कारोबार बंद करना शुरू कर दिया था। ऐसे समय में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा महामारी ‘पांचवां बड़ा खतरा’ है जिसने चार अन्य खतरों को और बढ़ाया है। इनमें बीते कुछ सालों में सर्वाधिक वैश्विक भू-रणनीतिक तनाव, अस्तित्व को खतरे में डालने वाला जलवायु संकट, गहन होता वैश्विक परस्पर अविश्वास तथा डिजिटल दुनिया का स्याह पक्ष हैं।
गुतारेस ने कोविड-19 महामारी को ‘हमारी सदी का सबसे बड़ा संकट’ करार दिया जिसने दुनिया को स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के गहरे संकट में डाल दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह का संकट एक सदी में नहीं देखी गई।
उन्होंने कहा, ‘‘हम महामंदी के बाद एक साथ ऐतिहासिक स्वास्थ्य संकट, सबसे बड़ी आर्थिक आपदा और नौकरियां जाने के इस तरह के खतरे से जूझ रहे हैं।’’
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि महामारी ने दशकों की प्रगति खत्म कर दी।
संयुक्त राष्ट्र ने महामारी से लड़ने के लिए वैश्विक कार्रवाई की दिशा में काम किया।
दुनिया के सामने इस अभूतपूर्व संकट के समय भारत ने भी आगे रहकर मोर्चा संभाला और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर में महासभा के अब तक के पहले डिजिटल उच्चस्तरीय सत्र में अपने संबोधन में वैश्विक समुदाय को आश्वासन दिया कि दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता देश के नाते भारत की टीका उत्पादन और आपूर्ति क्षमता का इस्तेमाल इस संकट से लड़ने में समस्त मानव जाति की मदद के लिए किया जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘कोविड-19 संकट के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए भारत ने समय रहते दुनिया भर के देशों से संपर्क साधा और 150 से अधिक देशों की सहायता की। हम असंख्य तरीकों से लगातार ऐसा कर रहे हैं।’’
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