नयी दिल्ली, 15 नवंबर मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के शुक्रवार को होने वाले शपथ-ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू भारत की ओर से शिरकत करेंगे। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
मालदीव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मुइज्जू के शपथ-ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
मोदी ने सितंबर 2018 में निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ-ग्रहण समारोह में शिरकत की थी। मालदीव की उनकी यात्रा ने दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों की आधारशिला रखी थी।
व्यापक तौर पर चीन समर्थक नेता माने जाने वाले मुइज्जू ने सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में निवर्तमान राष्ट्रपति सोलिह को हरा दिया था।
चुनाव जीतने के बाद मुइज्जू ने कहा है कि वह अपने देश से भारतीय
सैनिकों को निकालने के अपने चुनावी वादे को पूरा करेंगे।
सोलिह के शपथ-ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले मेहमानों में मोदी किसी अन्य देश के एकमात्र सरकार प्रमुख थे, वहीं समझा जाता है कि मुइज्जू के शपथ-ग्रहण समारोह के लिए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग समेत कई विदेशी नेताओं को आमंत्रित किया गया है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के निमंत्रण पर उनके शपथ-ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रीजीजू 16 से 18 नवंबर तक मालदीव के दौरे पर रहेंगे।’’
मंत्रालय के बयान के अनुसार शपथ-ग्रहण समारोह में मंत्री का उच्चस्तरीय प्रतिनिधित्व दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण सहयोग को बढ़ाने तथा लोगों के बीच संबंधों को सुदृढ़ करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और प्रधानमंत्री के ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और उन्नति) दृष्टिकोण तथा ‘पड़ोस प्रथम नीति’ में विशेष स्थान रखता है।’’
सोलिह भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और ‘भारत प्रथम’ की नीति का अनुसरण करने पर सतत ध्यान दे रहे थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई में मालदीव का दौरा किया था जिस दौरान उन्होंने एक तीव्र गश्ती पोत और एक लैंडिंग क्राफ्ट इस द्वीपीय देश को सौंपा था।
पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री मोदी और सोलिह ने भारत द्वारा वित्तपोषित ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना शुरू की थी जिसे इस द्वीपीय देश में सबसे बड़ी अवसंरचना परियोजना कहा गया है।
भारत की ‘पड़ोस प्रथम’ नीति के सबसे बड़े लाभार्थी देशों में मालदीव शामिल है।
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