नयी दिल्ली, 27 नवंबर मुंबई के 100 साल पुराने छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय की जीर्णोद्धार परियोजना को यूनेस्को के एशिया प्रशांत पुरस्कार से नवाजा गया है।
पुरस्कार तय करने वाली जूरी ने इस परियोजना की सराहना एक ऐसी परियोजना के रूप में की, जो विश्व धरोहर स्मारकों के संरक्षण के लिए ‘‘मानक स्थापित करती है।’’
छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय मुंबई की विश्व धरोहर संपत्ति के विक्टोरियन गॉथिक और आर्ट डेको एन्सेम्बल का हिस्सा है। इसे शनिवार को घोषित यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कारों के तहत सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण श्रेणी में उत्कृष्टता पुरस्कार मिला है।
यूनेस्को बैंकॉक ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘जूरी ने ऐतिहासिक शहर मुंबई में एक प्रमुख निकाय संस्थान का जीर्णोद्धार करने से जुड़ी संग्रहालय परियोजना की सराहना की है।’’
बयान में जूरी के हवाले से कहा गया है कि महामारी के दौरान विभिन्न चुनौतियों से निपटते हुए इस परियोजना के तहत उत्कृष्ट वास्तुशिल्प और इंजीनियरिंग समाधानों के माध्यम से संग्रहालय के क्षरण के मुद्दे का समाधान किया गया।
छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय की स्थापना 1922 में पश्चिमी भारत के प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय के रूप में की गई थी।
अंतरराष्ट्रीय जूरी द्वारा छह देशों-भारत, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल और थाईलैंड से तेरह परियोजनाओं को इस वर्ष के पुरस्कार के लिए चुना गया।
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