इंदौर, 21 अप्रैल : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर में प्रशासन के समय रहते हरकत में आने से दो सगी बहनें ‘बालिका वधू’ बनने से बच गईं. बाल विवाह के खिलाफ महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गठित उड़नदस्ते के प्रभारी महेंद्र पाठक ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि शारीरिक प्रताड़ना के चलते दोनों नाबालिग लड़कियों के पिता के साथ रहने से इनकार करने पर उन्हें आश्रय स्थल भेजवा दिया गया है. पाठक के मुताबिक, इंदौर के देवगुराड़िया क्षेत्र में रहने वाली दो नाबालिग बहनों की शादी पड़ोस के देवास जिले के दो अलग-अलग परिवारों के युवकों से करने की तैयारी चल रही थी. बाल विवाह की सूचना मिलने पर प्रशासन ने बुधवार को इन्हें रुकवा दिया. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे उड़नदस्ते ने जब दोनों लड़कियों की उम्र को लेकर उनके पिता से प्रमाणपत्र मांगा तो उसने कहा कि अभी उसके पास ऐसा कोई प्रमाणपत्र नहीं है और आयु संबंधी प्रमाणपत्र एक दूरस्थ गांव में उसके पैतृक घर में रखे हुए हैं, जहां ताला लगा है.’’
पाठक के अनुसार, उड़नदस्ते ने दोनों बहनों के स्कूल से रिकॉर्ड मंगवाया तो पता चला कि इनमें से एक लड़की 17 वर्ष की है, जबकि दूसरी की उम्र 15 साल है. गौरतलब है कि देश में 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम आयु की लड़की की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आती है, जो कानूनन अपराध है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत दोषी को दो साल तक के सश्रम कारावास अथवा एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों सजा देना का प्रावधान है. उड़नदस्ता प्रभारी ने यह भी बताया कि दोनों बालिकाओं ने शिकायत की कि उनका पिता नशे की हालत में आए दिन उनके साथ मारपीट करता है. लड़कियों ने यह भी कहा कि उनका पिता उन्हें घर की ऊपरी मंजिल से नीचे फेंकने का प्रयास कर चुका है. यह भी पढ़ें : यूपी में नवजात शिशुओं को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र बनेंगे
पाठक के मुताबिक, बाल विवाह रोके जाने के बाद दोनों बहनों ने आशंका जताई कि अगर वे अब भी पिता के घर रहीं तो उन्हें फिर प्रताड़ना दी जाएगी. पाठक ने बताया कि दोनों बालिकाओं के पिता के साथ रहने से इनकार करने के बाद बाल कल्याण समिति ने उन्हें अस्थायी रूप से एक आश्रय स्थल भेजवा दिया. उन्होंने बताया कि दोनों बालिकाओं और उनके माता-पिता के बयानों के आधार पर समिति फैसला करेगी कि वे भविष्य में कहां रहेंगी.