देश की खबरें | मणिपुर जातीय संघर्ष में जान गंवाने वाले बीएसएफ के दो जवान वीरता पदक से सम्मानित

नयी दिल्ली, 14 अगस्त मणिपुर में हिंसक जातीय झड़पों में कर्तव्य निर्वहन के दौरान जान गंवाने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो जवानों और घायल हुए एक जवान को बुधवार को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता के लिए पुलिस पदक से पुरस्कृत किया गया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, पुरस्कार पाने वालों में दिवंगत कांस्टेबल नरेंद्र कुमार और दिवंगत रंजीत यादव तथा सहायक कमांडेंट अशोक कुमार के अलावा सीमा सुरक्षा बल के तीन अन्य कर्मी शामिल हैं।

नरेंद्र कुमार (मरणोपरांत) और उनके वरिष्ठ सहकर्मी अशोक कुमार को 28 मई, 2023 को तेंग्नौपाल जिले के मोरेह शहर में प्रदर्शनकारियों के साथ हिंसक झड़प के दौरान ‘‘व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना अदम्य साहस दिखाने एवं कर्तव्य से परे समर्पण’’ के लिए पदक से सम्मानित किया गया है।

पिछले साल मई में मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हुई जातीय झड़पों तथा हिंसा के मद्देनजर क्षेत्र में बीएसएफ की इकाई को तैनात किया गया था।

बीएसएफ के दो जवान उस भीड़ को नियंत्रित कर रहे थे जो एलोरा होटल को जलाने पर आमादा थी। उन्हें मिले प्रशस्ति पत्र के अनुसार, एक गोली नरेंद्र कुमार के सिर पर लगी, जबकि अशोक कुमार के हाथ में गोली लगी।

नरेंद्र कुमार ने अगले दिन दम तोड़ दिया।

प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि जवान ने कर्तव्य की सीमा से परे जाकर न केवल अपने सहयोगियों की जान बचाई, बल्कि ग्रामीणों की संपत्ति भी बचाई क्योंकि उपद्रवी उत्पात मचा रहे थे, घरों को जला रहे थे और लूटपाट कर रहे थे।

सीमा सुरक्षा बल की 163वीं बटालियन के कांस्टेबल रंजीत यादव (36) पूर्वोत्तर राज्य के काकचिंग जिले के सेरौ प्रैक्टिकल हाईस्कूल के संतरी पद पर तैनात थे।

उनके प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि कुछ शरारती तत्वों ने पिछले साल छह जून की सुबह उनके ‘‘एलएमजी मोर्चे’’ पर गोलीबारी की जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

प्रशस्ति पत्र में कहा गया है, ‘‘जवान ने व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना वीरता और अदम्य साहस का परिचय दिया तथा कर्तव्य से परे समर्पण प्रदर्शित करते हुए साथी सैनिकों की जान बचाई और राष्ट्र के लिए अपनी जान दे दी।’’

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