नयी दिल्ली, 21 मई एक न्यायाधिकरण ने नेशनल इन्श्योरेन्स कंपनी लिमिटेड को 2019 में सड़क दुर्घटना में मारे गए एक सरकारी कर्मचारी के आश्रित परिवार के सदस्यों को दो करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण की पीठासीन अधिकारी एकता गौबा मान ने सरकारी कर्मचारी के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश दिया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 39 वर्षीय मनीष गौतम 31 मई 2019 को रोहिणी के सेक्टर 11 में अपने रिश्तेदार के साथ सड़क पर जा रहे थे, तभी तेज गति से आ रही एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी। यह कार मांगे राम चला रहा था। गौतम ने एक जून को एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।
न्यायाधीश ने 19 मई को पारित आदेश में कहा, ‘‘बीमा कंपनी को निर्देश दिया जाता है कि वह आज से 30 दिन के भीतर इस मामले में याचिकाकर्ताओं को मुआवजे के रूप में 2,00,50,000 रुपये का भुगतान करे। ऐसा न करने पर अतिरिक्त ब्याज के साथ रकम का भुगतान करना होगा। अंतरिम राशि याचिकाकर्ताओं को भुगतान की गई है तो उसकी कटौती की जाए।’’
न्यायाधीश ने बीमा कंपनी की इस दलील को खारिज कर दिया कि पीड़ित द्वारा लापरवाही की गई थी। उन्होंने कहा कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है कि मनीष की गलती थी।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह साबित हुआ है कि प्रतिवादी संख्या एक (मांगे राम) द्वारा लापरवाही और तेज गति से वाहन चलाने के कारण व्यक्ति को घातक चोट पहुंची।’’
न्यायाधीश ने रेखांकित किया कि केवल मनीष की पत्नी, पुत्र, दो पुत्रियां और उनकी मां ही मुआवजे की हकदार हैं क्योंकि वे मृतक पर आश्रित थे। न्यायाधीश ने बीमा कंपनी की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि मांगे राम शराब के नशे में कार चला रहा था, इसलिए बीमा शर्तों का उल्लंघन हुआ।
शाहबाद डेयरी थाने ने मांगे राम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाना) और 304 ए (लापरवाह कृत्य से हुई मौत) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
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