निर्वाचन आयोग के कार्यालय के बाहर टीएमसी का धरना ‘कुकर्मों’ से ध्यान भटकाने की कोशिश: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं के दिल्ली में निर्वाचन आयोग के कार्यालय बाहर धरने को मंगलवार को ‘नाटक’ करार दिया और दावा किया कि यह लोकसभा चुनाव से पहले उसके नेताओं के ‘कुकर्मों’ से ध्यान भटकाने की कोशिश है.
कोलकाता, 9 अप्रैल : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं के दिल्ली में निर्वाचन आयोग के कार्यालय बाहर धरने को मंगलवार को ‘नाटक’ करार दिया और दावा किया कि यह लोकसभा चुनाव से पहले उसके नेताओं के ‘कुकर्मों’ से ध्यान भटकाने की कोशिश है. टीएमसी नेताओं को दिल्ली पुलिस ने धरने के दौरान हिरासत में ले लिया था. उन्होंने मंदिर मार्ग थाने में मंगलवार को सुबह अपना धरना जारी रखा. भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा, “ टीएमसी नेता असली मुद्दों से बचने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के कार्यालय के बाहर तमाशा खड़ा कर रहे हैं. अगर उन्हें कोई शिकायत है तो वे अदालत का रुख कर सकते हैं. वे आयोग के कार्यालय के बाहर क्या कर रहे हैं?”
पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि टीएमसी “अपने कुकर्मों से ध्यान भटकाने” की कोशिश कर रही है. भट्टाचार्य ने कहा, “ टीएमसी हर तरह के भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त है. इनके नेता देसी बम बनाने में भी शामिल हैं. हकीकत तो यह है कि ज्यादातर मामलों में केंद्रीय एजेंसियां अदालत के निर्देशों के मुताबिक काम कर रही हैं.” टीएमसी के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को आयोग की पूर्ण पीठ से मुलाकात की और मांग की कि प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण और आयकर विभाग के प्रमुखों को बदला जाए, क्योंकि वे कथित तौर पर सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं. टीएमसी नेताओं ने बाद में घोषणा की कि वे आयोग के कार्यालय के बाहर 24 घंटे के धरने पर बैठे हैं. यह भी पढ़ें : कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रवक्ता राजू वाघमारे मुख्यमंत्री शिंदे नीत शिवसेना में शामिल
प्रतिनिधिमंडल में राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन, मोहम्मद नदीम-उल-हक, डोला सेन, साकेत गोखले, सागरिका घोष, विधायक विवेक गुप्ता, पूर्व सांसद अर्पिता घोष, शांतनु सेन और अबीर रंजन विश्वास और टीएमसी पश्चिम बंगाल छात्र शाखा के उपाध्यक्ष सुदीप राहा शामिल थे. टीएमसी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को दिल्ली पुलिस द्वारा पार्टी नेताओं को हिरासत में लेने की आलोचना करते हुए इसे "लोकतंत्र में काला दिन" बताया था.