कार में खींच कर किया गया था गैंगरेप, मामले में तीन लोग बरी, 3 अन्य दोषी करार
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नई दिल्ली, 14 फरवरी: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने 2012 के एक सामूहिक बलात्कार (Gang rape) मामले में तीन लोगों को बरी करते हुए सोमवार को कहा कि अगर पीड़िता का बयान विरोधाभासों से भरा हुआ है तो ऐसे में बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए जाने के फैसले को बरकरार नहीं रखा जा सकता है. दिल्ली में शर्मसार हुई इंसानियत, 87 साल की बुजुर्ग महिला से रेप, केस दर्ज

निचली अदालत के 2016 के आदेश में बलात्कार मामले में दोषी करार दिए गए लोगों द्वारा फैसले को चुनौती देने के लिए दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति चन्द्रधारी सिंह ने हालांकि, इस मामले में मेडिकल साक्ष्य के आधार पर तीन अन्य लोगों को दोषी करार दिए जाने के फैसले को बरकरार रखा.

फैसले को बरकरार रखते हुए अदालत ने कहा कि बलात्कार सबसे क्रूर और जघन्य अपराधों में से एक है जो पीड़िता के सम्मान और बहुत हद तक समाज के खिलाफ किया जाता है. अदालत ने दोषियों को सुनाई गई सजा में भी कमी करने से इंकार कर दिया.

अन्य तीन लोगों को बरी किए जाने पर न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता के बयान मात्र पर भी दोषी ठहराया जा सकता है, लेकिन जब उसके बयान पर पूरी तरह यकीन ना किया जा सके तो अदालत अन्य साक्ष्य तलाश सकती है और अगर साक्ष्यों से उसकी कहानी साबित नहीं होती है तो उसके (पीड़िता) मुकदमे को खारिज किया जा सकता है. मौजूदा मुकदमे में अपील करने वालों ने पीड़िता (कचरा चुनने वाली महिला) को जबरन कार के भीतर खींच कर उसके साथ बलात्कार किया था.

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