वाशिंगटन, चार अक्टूबर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूरी दुनिया जब यह मान रही है कि चीन एक अपारदर्शी अर्थव्यवस्था है तो ऐसे समय में भी कुछ लोग, जो भारतीय उद्योग में इसके बढ़ते प्रभाव के लिए संभवत: जिम्मेदार हैं, चीनी गाथा की प्रशंसा कर रहे हैं या उसका बचाव कर रहे हैं।
गोयल ने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘‘शर्म’’ की बात है कि भारत ने ‘‘घटिया और अपारदर्शी कीमत वाले चीनी सामान’’ को भारतीय बाजारों में आने दिया और भारतीय विनिर्माण को नष्ट कर दिया।
गोयल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में भारतीय पत्रकारों से कहा, ‘‘जहां तक चीन का सवाल है तो यह बहुत दुखद है कि कुछ लोग जो भारतीय उद्योग में चीन के बढ़ते प्रभाव के लिए संभवतः जिम्मेदार हैं वे चीन की कहानी की प्रशंसा करते हैं या उसका बचाव करना जारी रखे हुए हैं, जबकि आज पूरी दुनिया यह मानती है कि चीन एक अपारदर्शी अर्थव्यवस्था है।’’
उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की पिछले महीने अमेरिका की यात्रा के दौरान की गई टिप्पणियों से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही। राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि चीन के विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने के लिए अमेरिका और भारत जैसे देश जिम्मेदार हैं तथा वर्तमान भारत सरकार ने चीनी विनिर्माण चुनौती से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए, जिसके परिणामस्वरूप देश में बेरोजगारी की समस्या पैदा हुई है।
गोयल ने कहा, ‘‘मैं भारत के विनिर्माण क्षेत्र की गाथा के बारे में जानकारी के अभाव के लिए केवल सहानुभूति ही व्यक्त कर सकता हूं, क्योंकि मुझे नहीं पता कि वह (गांधी) रोजगार के किस नुकसान की बात कर रहे हैं लेकिन हम विदेशी धरती पर हैं। हम राहुल गांधी की तरह नहीं हैं जो घरेलू राजनीति को विदेशी धरती पर ले आते हैं। वह अपने ही देश की निंदा कर सकते हैं, यह उनकी पसंद है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक हमारा सवाल है तो पूरा भारत अपने लोगों की समृद्धि बढ़ाने के प्रयास में एकजुट है। हम सभी 2047 तक एक विकसित राष्ट्र, एक समृद्ध राष्ट्र बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। विकसित भारत-2047 हमारा लक्ष्य, हमारा मिशन, हमारी प्रतिबद्धता है। आगामी वर्षों में भारत के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हम सभी एकजुट हैं।’’
गोयल ने कहा कि चीन को माल ‘डंप’ करने के लिए जाना जाता है।
‘डंप’ करने का अर्थ है कि एक देश द्वारा किसी अन्य देश के बाजार में सामान्य मूल्य से कम कीमत पर माल का निर्यात करना।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि अमेरिका भी इससे चिंतित है। अमेरिका चीनी माल पर अतिरिक्त कर और शुल्क लगा रहा है। अमेरिका चीनी माल से सुरक्षा खतरे को लेकर चिंतित है और उस पर प्रतिबंध लगा रहा है।’’
गोयल ने कहा, ‘‘मैं केवल सांख्यिकी के रूप में यह जानकारी दे रहा हूं और मेरा इसका राजनीतिकरण करने का कोई इरादा नहीं है। यदि आप पीछे मुड़कर देखें तो भारत का चीन के साथ 2004 में केवल 1.7 या 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा था तथा 2004 से लेकर अगले दो या तीन, चार वर्षों के बीच क्या हुआ, यह प्रेस को पता लगाना है लेकिन 2004 से 2014 के बीच हमारा व्यापार घाटा 1.8 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 10 साल में 43 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो लगभग 30 गुना है।’’
उन्होंने कहा कि यह ‘‘शर्म’’ की बात है कि भारत ने ‘‘चीनी सामान, घटिया सामान, अस्पष्ट कीमत वाले सामान, अपारदर्शी सामान को भारतीय बाजारों में आने दिया, जिससे भारतीय विनिर्माण क्षेत्र नष्ट हो गया, जिससे निवेशकों की भारत में रुचि समाप्त हो गई, क्योंकि चीन से आने वाली इस प्रकार की वस्तुओं के खिलाफ कोई सुरक्षा नहीं थी। उस अवधि के दौरान आयात शुल्क कम कर दिए गए थे।’’
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हमारा व्यापार घाटा 2004 से 2014 तक 42.85 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा। अगर विनिर्माण इससे नष्ट नहीं हुआ, तो किससे हुआ? जबकि 2014 से 2024 के बीच चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा केवल 6.45 प्रतिशत बढ़ा है।’’
गोयल ने कहा, ‘‘यह अत्यंत दुखद है कि कुछ सरकारें, जो इस समस्या के लिए सबसे पहले जिम्मेदार हैं, यह भी नहीं समझ पा रहीं कि उन्होंने भारत की विकास गाथा को किस तरह नुकसान पहुंचाया है।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)