Potsdam Institute for Climate Research: इस साल गर्मी ने तोड़ा रिकॉर्ड, सबसे अधिक तपिश महसूस हुई
वैज्ञानिकों ने कहा कि इस साल टूटे रिकॉर्ड पिछले साल ही बने थे जब मानव-जनित जलवायु परिवर्तन एवं अल नीनो के प्रभाव के कारण तापमान चरम स्तर पर पहुंच गया था. ‘कॉपरनिकस’ के अनुसार, जून, जुलाई और अगस्त को उत्तरी मौसम विज्ञान ग्रीष्मकालीन समय कहा जाता है और इस दौरान औसत (न्यूनतम) तापमान 16.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो 2023 के रिकॉर्ड से 0.03 डिग्री अधिक है.
वैज्ञानिकों ने कहा कि इस साल टूटे रिकॉर्ड पिछले साल ही बने थे जब मानव-जनित जलवायु परिवर्तन एवं अल नीनो के प्रभाव के कारण तापमान चरम स्तर पर पहुंच गया था. ‘कॉपरनिकस’ के अनुसार, जून, जुलाई और अगस्त को उत्तरी मौसम विज्ञान ग्रीष्मकालीन समय कहा जाता है और इस दौरान औसत (न्यूनतम) तापमान 16.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो 2023 के रिकॉर्ड से 0.03 डिग्री अधिक है. ‘कॉपरनिकस’ के पास 1940 से आंकड़े उपलब्ध हैं जबकि अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी जलवायु सेवाओं के पास 19वीं शताब्दी के मध्य से आंकड़े उपलब्ध हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, आंकड़े यह दिखाते हैं कि पिछला दशक सबसे गर्म रहा, संभवत: यह 1,20,000 वर्षों में सबसे अधिक गर्म दशक रहा.
‘कॉपरनिकस’ के निदेशक कार्लो ब्यूनटेंपो ने कहा कि 2024 और 2023 दोनों ही वर्षों में अगस्त के महीने में 16.82 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा. हालांकि गर्मी के मामले में जुलाई में पुराना रिकॉर्ड नहीं टूटा लेकिन इस साल जून का महीना पिछले साल की तुलना में ज्यादा गर्म रहा. यही वजह रही कि औसतन ज्यादा गर्म मौसम दर्ज किया गया. यह भी पढ़ें : Gujarat Conserve Water: गुजरात को सौगात, पीएम मोदी करेंगे ‘जल संरक्षण जनभागीदारी पहल’ का शुभारंभ
‘पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट रिसर्च’ में जलवायु वैज्ञानिक स्टीफन रैम्सस्टॉर्फ ने कहा, ‘‘ये आंकड़े दर्शाते हैं कि किस तरह से हम जलवायु संकट की गिरफ्त में फंसते रहे हैं.’’ रैम्सटॉर्फ इस शोध का हिस्सा नहीं थे. ब्यूनटेंपो ने कहा, ‘‘अगर हम यह चाहते हैं कि 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष नहीं बने, तो हमें शेष कुछ महीनों में बहुत महत्वपूर्ण भूदृश्य शीतलन की आवश्यकता होगी, जो इस समय संभव होता नहीं दिखता है.’’