सूरत, 6 सितम्बर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दोपहर 12:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के सूरत में ‘जल संचय जनभागीदारी पहल’ के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. जल संरक्षण के बारे में प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, इस पहल का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व पर ज़ोर देते हुए जल संरक्षण करना है. यह पूरे समाज और पूरी सरकार के संकल्प को दर्शाता है. बता दें कि गुजरात सरकार के नेतृत्व में जल संचय पहल की सफलता के आधार पर, जल शक्ति मंत्रालय, राज्य सरकार के सहयोग से, गुजरात में “जल संचय जन भागीदारी” पहल शुरू कर रहा है. गुजरात सरकार ने 'जल सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित' करने के लिए नागरिकों, स्थानीय निकायों, उद्योगों और अन्य हितधारकों को संगठित करने का प्रयास किया है.
इस कार्यक्रम के तहत सामुदायिक भागीदारी से राज्य भर में लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है. ये पुनर्भरण संरचना वर्षा जल संचयन को बढ़ाने और दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करने में सहायक होंगी. यह कार्यक्रम समाज के प्रति पीएम मोदी के समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है और बारिश की हर बूंद को एक मूल्यवान संसाधन में बदलने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करता है. इस पहल के तहत बनाई गई संरचनाएं वर्षा जल संचयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी और समुदाय द्वारा जल संरक्षण के लिए गुजरात के प्रयासों को भी प्रदर्शित करेंगी. साथ ही कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की भागीदारी को भी बढ़ावा देंगी. यह भी पढ़ें : ‘आप भगवान हैं या नहीं, ये फैसला लोगों को करने दें’, इशारों में बहुत कुछ कह गए RSS चीफ मोहन भागवत
प्रधानमंत्री मोदी ने जल संरक्षण को एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में रेखांकित किया है, जो उनके दीर्घकालिक समर्थन को दर्शाता है. इस पहल में देश भर के राज्य नोडल अधिकारी शामिल होंगे और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक टिकाऊ और जल-सुरक्षित भविष्य बनाने के राष्ट्रीय महत्व को दर्शाता है. यह पहल 2019 में शुरू किए गए 'जल शक्ति अभियान: कैच द रेन' की सफलता पर आधारित है. महामारी के बावजूद, यह अभियान एक वार्षिक राष्ट्रव्यापी प्रयास बन गया है. इसका वर्तमान संस्करण 'नारी शक्ति से जल शक्ति' थीम के तहत जल प्रबंधन में महिलाओं की भूमिका पर जोर देता है.