जरुरी जानकारी | आर्थिक वृद्धि के साथ समझौता किये बिना हरित ऊर्जा की दिशा में हो बदलाव: सीईए नागेश्वरन

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि हरित ऊर्जा की ओर बदलाव को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है और इस दिशा में काम आर्थिक वृद्धि के साथ कोई समझौता किए बिना किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसे सावधानी से करने की जरूरत है ताकि हम ऊर्जा बदलाव के प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन से निपटने के नाम पर आर्थिक वृद्धि को ही नुकसान नहीं पहुंचा दें। यह ध्यान रखना होगा कि वृद्धि के बिना जलवायु बदलाव प्रबंधन के लिए निवेश को लेकर कोई संसाधन उपलब्ध नहीं होगा।’’

नागेश्वरन ने यहां उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वैश्विक आर्थिक नीति सम्मेलन में उदाहरण देते हुए कहा कि यूरोप में नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा बदलाव पर जोर के साथ औद्योगिक बिजली की कीमतों में तेज वृद्धि हुई है, जिससे यूरोप आर्थिक सुस्ती का सामना कर रहा है।

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक चुनौती नहीं है, बल्कि एक आर्थिक चुनौती भी है। यह न केवल भारत बल्कि पूरे वैश्विक दक्षिण (अल्पविकसित और विकासशील देश) को प्रभावित कर रही है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने आर्थिक सुस्ती की चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि देश आर्थिक समीक्षा में उल्लेखित चालू वित्त वर्ष में 6.5-7.0 प्रतिशत जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि हासिल करने के रास्ते पर है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि अनिश्चित वैश्विक आर्थिक माहौल भारत के लिए एक चुनौती है और अनिश्चितताओं से निपटने के लिए घरेलू प्रयासों को दोगुना करने की आवश्यकता है।

नागेश्वरन ने यह भी कहा कि हर साल 80 लाख नौकरियां पैदा करना सरकार के लिए प्राथमिकता और महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। कौशल की कमी के कारण यह आसान काम नहीं है।

उन्होंने पूंजी निर्माण को मजबूत करने की जरूरत बतायी और उम्मीद जतायी की कि बही-खाते और लाभ में सुधार के कारण अगले पांच साल में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।

नागेश्वरन ने कहा कि 2023-24 के अस्थायी अनुमान के अनुसार, बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि में निजी अंतिम उपभोग व्यय की हिस्सेदारी 60.3 प्रतिशत थी। सकल स्थिर पूंजी निर्माण 30.8 प्रतिशत और निर्यात का योगदान 21.9 प्रतिशत था। निजी क्षेत्र पूंजी लगाना शुरू कर रहा है।

उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित बनाने की दिशा में उत्पादक रोजगार सृजित करना, कौशल की कमी को दूर करना, कृषि क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग करना, विनियमन के माध्यम से देश की विनिर्माण और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) वृद्धि को बढ़ाना तथा ग्रामीण-शहरी विकास को संतुलित करना महत्वपूर्ण है।

नागेश्वरन ने देश के युवाओं में मोबाइल, टीवी पर अधिक समय बिताने, गतिहीन जीवन शैली और प्रसंस्कृत भोजन की खपत के कारण मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बढ़ती चिंताओं को दूर करने की जरूरत भी बतायी।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज और निजी क्षेत्र की भी जिम्मेदारी है। अगर भारत को युवा आबादी का लाभ उठाना है, तो भारतीयों को न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ होने की जरूरत है।’’

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