मुंबई, 21 दिसंबर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा है कि उन्हें एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने के अनुरोध वाली शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा दायर याचिकाओं पर 10 जनवरी, 2024 तक आदेश जारी करने में उनके हिसाब से कोई बाधा नहीं है।
नार्वेकर ने बुधवार को पुष्टि की कि दोनों पक्षों - मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) की ओर से बहस के बाद सुनवाई पूरी हो गई है।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते नार्वेकर के लिए दोनों पक्षों की याचिकाओं पर निर्णय लेने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर अगले साल 10 जनवरी कर दी थी।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नार्वेकर को 31 दिसंबर तक फैसला देने का आदेश दिए जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने मुंबई में रोजाना सुनवाई शुरू की थी। उन्होंने बुधवार को नागपुर में समाप्त हुए राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान सुबह के समय इस प्रक्रिया को जारी रखा।
विधानसभा अध्यक्ष ने नागपुर के विधान भवन में कहा, ‘‘मुझे 10 जनवरी तक आदेश देने में कोई बाधा नहीं दिख रही है। फैसला कानून और संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सभी कानूनी प्रावधानों का पालन किया है। सभी दस्तावेजों को देखने और उनका अध्ययन करने के बाद शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार आदेश दिया जाएगा।’’
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके प्रति वफादार शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी को लेकर उच्चतम न्यायालय ने कड़ी आपत्ति जताई थी और पिछली सुनवाई में विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि कार्यवाही को दिखावे तक सीमित नहीं किया जा सकता है। वह इसके आदेशों की ‘‘अवहेलना’’ नहीं कर सकते।
इससे पहले 18 सितंबर को शीर्ष अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष को शिंदे और उनके प्रति निष्ठा रखने वाले शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए निश्चित समय सीमा बताने का निर्देश दिया था। शिवसेना में विभाजन के बाद शिंदे गुट ने जून 2022 में नयी सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन किया था।
अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से शिंदे गुट के विधायकों सहित 56 विधायकों की अयोग्यता की याचिकाओं पर फैसला करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष द्वारा तय की जाने वाली समय-सारणी से पीठ को अवगत कराने को कहा था।
ठाकरे गुट ने जुलाई में शीर्ष अदालत का रुख करते हुए अयोग्यता याचिकाओं पर समयबद्ध तरीके से शीघ्र फैसला करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने का अनुरोध किया था।
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