मुंबई, 22 मई: बंबई उच्च न्यायालय (Bombey High Court) ने शुक्रवार को कहा कि मुंबई नगर निकाय के पास कोविड-19 (COVID-19) के कारण जान गंवाने वाले लोगों के शवों का निस्तारण करने के लिए किसी भी कब्रिस्तान को नामित करने का अधिकार है और ऐसा कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ जो यह दिखाता हो कि कोरोना वायरस मुर्दों से भी फैलता है.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एस एस शिंदे की खंडपीठ ने उन याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की जिसमें बीएमसी द्वारा जारी नौ अप्रैल के परिपत्र को चुनौती दी गई थी. बीएमसी ने परिपत्र जारी कर कोरोना वायरस के कारण मरने वाले लोगों के शवों के निस्तारण के लिए 20 कब्रिस्तानों को चिह्नित किया था.
अदालत ने कहा कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा जारी किया गया परिपत्र कानून के अनुरूप है और नगर निकाय के पास ऐसे मरीजों के शवों के निस्तारण के लिए कब्रिस्तानों को चिह्नित करने का पूरा अधिकार है.
पीठ ने कहा कि नगर निकाय और अन्य संबंधित प्राधिकरण कोविड-19 के मरीजों के शवों का सुरक्षित निस्तारण करने के लिए भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के दिशा निर्देशों का अनुपालन करें. उसने कहा कि ऐसे कोई वैज्ञानिक आंकड़े नहीं हैं जो यह दिखाएं कि कोविड-19 मृतक से भी फैल सकता है.