देश की खबरें | भाजपा के विरोध में एक लहर है, देश के लोग बदलाव चाहते हैं : पवार

औरंगाबाद, सात जून राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को दावा किया कि वर्तमान में “भाजपा विरोधी” लहर है और देश के लोग कर्नाटक में हाल के विधानसभा चुनावों के परिणामों को देखते हुए बदलाव चाहते हैं।

पवार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर लोगों की यह सोच जारी रहती है तो देश आगामी चुनावों में बदलाव देखेगा।

उन्होंने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र में छोटी-छोटी घटनाओं को “धार्मिक रंग” दिया जा रहा है, जो अच्छा संकेत नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को कर्नाटक में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा, जहां कांग्रेस पांच साल के अंतराल के बाद सत्ता में वापस आई।

देश में 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। अगले साल के उत्तरार्ध में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

पवार ने कहा, “परिदृश्य को देखते हुए, मुझे लगता है कि भाजपा विरोधी लहर चल रही है। कर्नाटक चुनाव के नतीजों को देखते हुए लोग बदलाव के मूड में हैं। अगर लोगों की यही सोच बनी रही तो आने वाले चुनाव में देश में बदलाव आएगा। यह बताने के लिए किसी ज्योतिषी की जरूरत नहीं है।”

लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर राकांपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी और सहयोगी दलों के कई लोगों का भी यही मत है।

पवार ने कहा, “लेकिन, मुझे ऐसा नहीं लगता। कर्नाटक विधानसभा चुनावों के परिणामों को देखते हुए, मुझे नहीं लगता कि देश के शासक लोकसभा चुनावों के साथ-साथ राज्य विधानसभा चुनाव कराने के झंझट में पड़ेंगे। उनका ध्यान केवल लोकसभा चुनाव पर रहेगा।”

महाराष्ट्र में प्रचारित किए जा रहे “तेलंगाना मॉडल” (किसानों को वित्तीय सहायता देने) पर पवार ने कहा, “तेलंगाना मॉडल की जांच होनी चाहिए। लेकिन, तेलंगाना एक छोटा राज्य है और एक छोटे से राज्य में इस तरह की सहायता की घोषणा की जा सकती है। लेकिन, मुझे लगता है कि बुनियादी ढांचे के कामों (खेती से संबंधित) पर अधिक धन खर्च किया जाना चाहिए।”

हाल के दिनों में महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति और हिंसा की कुछ घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर, पवार ने दावा किया कि राज्य में कुछ छोटे मुद्दों को “धार्मिक रंग” दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “शासक राज्य में कानून-व्यवस्था स्थापित करने के लिए जिम्मेदार हैं। अगर सत्ता पक्ष और उनके लोग इसे लेकर सड़कों पर उतर आते हैं तथा दो धर्मों के बीच दरार पैदा करते हैं तो यह शुभ संकेत नहीं है। ’’

उन्होंने दावा किया,‘‘ अगर औरंगाबाद में (किसी व्यक्ति का) पोस्टर दिखाया जाता है, तो पुणे में हिंसा की क्या जरूरत है। लेकिन ऐसा होने दिया जा रहा है।’’

पवार ने आरोप लगाया, “हाल ही में हमने अहमदनगर के बारे में सुना। आज मैंने कोल्हापुर से एक खबर देखी। लोग सड़कों पर निकल आए और फोन पर संदेश भेजने की एक छोटी सी घटना को धार्मिक रंग देना अच्छा संकेत नहीं है। सत्ताधारी दल ऐसी बातों को बढ़ावा दे रहे हैं।”

यह पूछे जाने पर कि नरेन्द्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के मद्देनजर केंद्र में उनका पसंदीदा मंत्री कौन है, पवार ने कहा, “कुछ ऐसे हैं जिनका काम निर्विवाद है। उदाहरण के लिए, नितिन गडकरी। वह पार्टी एंगल (अपने काम में) नहीं रखते हैं। अगर हम उनके पास कोई मुद्दा लेकर जाते हैं तो वह उसके महत्व को जांचते हैं न कि उसके बारे में बताने वाले को।”

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