देश की खबरें | कोविड महामारी के दौरान भारत में 34 से 49 लाख अतिरिक्त मौत होने की आशंका : रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 21 जुलाई एक नयी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कोरोना वायरस के कारण आधिकारिक आंकड़ों की अपेक्षा लाखों अधिक लोगों की मौत हुयी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान कोविड महामारी के दौरान 34 से 49 लाख अतिरिक्त मौतें होने की आशंका है।

यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गयी। इस रिपोर्ट को भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, अमेरिकी थिंक-टैंक सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट के जस्टिन सैंडफुर और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अभिषेक आनंद द्वारा तैयार की गयी है।

रिपोर्ट के लेखकों ने कहा, ‘‘... लेकिन सभी अनुमान बताते हैं कि महामारी से मरने वालों की संख्या 400,000 की आधिकारिक संख्या से काफी अधिक हो सकती है।’’

उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मौतों की वास्तविक संख्या के लाखों में होने का अनुमान है और यह विभाजन तथा आजादी के बाद से भारत की सबसे खराब मानव त्रासदी है। उनका अनुमान है कि जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच 34 से 49 लाख लोगों की मौत हुयी है।

भारत के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मृतकों की कुल संख्या बुधवार को 4.18 लाख थी।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोविड से मरने वालों की संख्या को लेकर आधिकारिक अनुमान नहीं ह और इसके मद्देनजर शोधकर्ताओं ने महामारी की शुरुआत से इस साल जून तक तीन अलग-अलग स्रोतों से मृत्यु दर का अनुमान लगाया।

पहला अनुमान सात राज्यों में मौतों के राज्य स्तरीय पंजीकरण से लगाया गया जिससे 34 लाख अतिरिक्त मौतों का पता लगता है। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर (आईएफआर) के अंतरराष्ट्रीय अनुमानों का भी प्रयोग किया।

शोधकर्ताओं ने उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया, जो सभी राज्यों में 800,000 से अधिक लोगों के बीच का सर्वेक्षण है। इससे 49 लाख अतिरिक्त मौतों का अनुमान है। शोधकर्ताओं ने कहा कि वे किसी एक अनुमान का समर्थन नहीं करते क्योंकि प्रत्येक तरीके में गुण और कमियां हैं।

भारत अब भी विनाशकारी दूसरी लहर से उबर रहा है जो मार्च में शुरू हुई थी और माना जाता है कि अधिक संक्रामक डेल्टा स्वरूप के कारण भारत में स्थिति खराब हुयी।

विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि जितना समझा जाता है, पहली लहर उससे कहीं ज्यादा घातक थी। इस साल मार्च के अंत तक, जब दूसरी लहर शुरू हुई, भारत में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 1,50,000 से अधिक थी।

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