देश की खबरें | प.बंगाल सरकार ने पौष मेला मैदान के चारों ओर बाड़ लगाने के निर्णय पर रोक लगाने का अनुरोध किया
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

, कोलकाता, 29 सितम्बर पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय से अदालत द्वारा गठित समिति के उस निर्णय पर रोक लगाने का अनुरोध किया जिसने शांतिनिकेतन में पौष मेला मैदान के चारों ओर बाड़ लगाने की अनुमति दी थी। वहीं राज्य में महाधिवक्ता ने इच्छा जतायी कि उन्हें समिति से बाहर कर दिया जाए।

विश्व भारती प्राधिकारियों ने सोमवार को मैदान के चारों ओर बाड़ लगाने का काम शुरू कर दिया। यह काम उस समिति के निर्देश के बाद शुरू किया गया जिसमें उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश भी शामिल हैं।

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गत 17 अगस्त को पौष मेला मैदान के चारों ओर चहारदीवारी के निर्माण के विश्व भारती के प्रयास को लेकर हिंसा और तोड़फोड़ की घटना हुई थी।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ए. मजूमदार ने बाड़ लगाने के कार्य पर रोक लगाने का अनुरोध किया और दावा किया कि स्थानीय लोगों के बीच असंतोष हैं जो इसके खिलाफ हैं।

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अदालत ने कहा कि कानून एवं व्यवस्था बनाये रखना पुलिस मशीनरी का कर्तव्य है और उसके रक्षकों को कानून का शासन बरकरार रखना है।

मुख्य न्यायाधीश टी बी एन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति एस सरकार की एक खंडपीठ ने कहा कि वह राज्य सरकार के अनुरोध पर बुधवार को विचार करेगी जब मामले पर फिर से सुनवायी की जाएगी।

पीठ ने कहा कि वह महाधिवक्ता किशोर दत्त की उन्हें अदालत द्वारा गठित समिति से बाहर करने की इच्छा पर भी, सुनवायी की अगली तिथि पर विचार करेगी।

समिति का गठन विश्व भारती से संबंधित मुद्दों के उचित समाधान के तरीकों का पता लगाने के लिए किया गया था। इसका नेतृत्व न्यायमूर्ति एस बनर्जी कर रहे हैं और उसमें न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी एक सदस्य है। इसमें इसके साथ ही महाधिवक्ता और केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि रवींद्र नाथ टैगोर के शांति निकेतन की विरासत और इतिहास को संरक्षित करना है जिसका पौष मेला एक हिस्सा बन गया है।

अदालत ने गत 18 सितंबर को पिछली सुनवायी पर निर्देश दिया था कि गुरुदेव टैगोर द्वारा स्थापित और आगे बढ़ाये गए ‘‘महान संस्थान’’ के महत्व के मद्देनजर मामले को एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के तौर पर लिया जाएगा।

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