नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कानून के तहत उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा अधिकारों की मांग करने वाले परिवहन कर्मियों के एक संगठन की याचिका पर सोमवार को केंद्र, उबर (Uber) और जोमैटो (Zomato) समेत अन्य ऐप आधारित सेवा प्रदाता कंपनियों से जवाब मांगा. Bengaluru: ओला कैब ड्राइवर पर महिला के सामने लगा हस्तमैथुन करने का आरोप, घटना पर पुलिस कमिश्नर ने मांगी माफी
इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (आईएफएटी) की याचिका में ऐसे कामगारों के लिए प्राथमिकता के आधार पर स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ, पेंशन, वृद्धावस्था सहायता, विकलांगता भत्ता और एग्रीगेटर्स लागत पर टीकाकरण कराने जैसी कल्याणकारी योजनाएं तैयार करने की मांग की गई है.
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने आईएफएटी की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करेंगे. मामले की सुनववाई चार सप्ताह बाद के लिए होगी.’’
Supreme Court issues notice to Centre on a petition filed by various mobile app-based drivers and delivery persons seeking social security and welfare benefits under multiple laws for Uber, Ola, Swiggy, Zomato employees.
SC posts the matter for hearing in January 2022.
— ANI (@ANI) December 13, 2021
जयसिंह ने कहा कि ड्राइवरों या डिलीवरी श्रमिकों को भी असंगठित श्रमिक अधिनियम की योजनाओं और श्रमिक निकाय के लिए बनाई गई सभी सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत कामगार घोषित करने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्रों के कामगारों मिलने वाले लाभ उन्हें भी उपलब्ध कराए जाएं
इस संबंध में उन्होंने ब्रिटेन की शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया और कहा कि नौकरी के अनुबंधों का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि उबर के साथ कार्यरत व्यक्ति वास्तव में कामगार थे.
याचिका में उबर इंडिया और ज़ोमैटो लिमिटेड के अलावा केंद्रीय मंत्रालयों - वाणिज्य और उद्योग, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया गया है.
याचिका में यह घोषित करने मकी मांग की गई है कि "‘‘गिग वर्कर’’ और ‘‘ऐप आधारित वर्कर’’ असंगठित श्रमिक अधिनियम की ‘असंगठित श्रमिकों’ की परि के तहत आते हैं और इसलिए वैधानिक कल्याण लाभों के हकदार हैं.
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