मुंबई, छह अप्रैल भारतीय रिजर्व बैंक ने रबी फसल बेहतर रहने की संभावना, जिंसों के दाम में नरमी तथा सरकार की अधिक पूंजीगत व्यय की योजना के साथ बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को मामूली बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया। पहले इसके 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी।
देश की आर्थिक वृद्धि दर 31 मार्च, 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में सात प्रतिशत रहने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2023-24 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रबी फसल उत्पादन बेहतर रहने का अनुमान है। इससे कृषि क्षेत्र और ग्रामीण मांग बेहतर रहने की संभावना बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि संपर्क से जुड़े सेवा क्षेत्रों में (होटल, रेस्तरां आदि) में वृद्धि सकारात्मक रहने की संभावना है। इसके साथ सरकार का पूंजी व्यय पर जोर, क्षमता उपयोग दीर्घकालीन औसत से अधिक होने तथा जिंसों के दाम में नरमी से विनिर्माण और निवेश गतिविधियों में तेजी आनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इन सब चीजों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी तिमाही में वृद्धि दर के क्रमश: 7.8 प्रतिशत, 6.2 प्रतिशत, 6.1 प्रतिशत और 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मौजूदा स्थिति में जोखिम दोनों तरफ बराबर है।’’
हालांकि, दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर चुनौतियां बढ़ी हैं और इससे बाह्य यानी वैश्विक मांग पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। वैश्विक स्तर पर दबाव बने रहने तथा वैश्विक वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव से परिदृश्य के नीचे जाने का जोखिम है।
रबी फसलों का उत्पादन 2022-23 में 6.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
अनुकूल घरेलू मांग के साथ नये कारोबारी ऑर्डर से पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) विनिर्माण और पीएमआई सेवा में मार्च में विस्तार हुआ। पीएमआई विनिर्माण मार्च में 56.4 अंक और पीएमआई सेवा 57.8 रहा।
विश्व बैंक ने भारत के बारे में अपनी ताजा रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है जबकि पूर्व में इसके 6.6 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी।
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