बेंगलुरु, 20 अगस्त कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को कहा कि राज्यपाल थावरचंद गहलोत को केंद्र सरकार के नहीं बल्कि भारत के राष्ट्रपति के प्रतिनिधि की तरह काम करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल को अभियोजन की मंजूरी देने के मामले में ‘‘चयनात्मक’’ रवैया नहीं अपनाना चाहिए।
सिद्धरमैया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और हम इसका सम्मान करते हैं। हमारा कहना है कि उन्हें केंद्र सरकार के नहीं बल्कि भारत के राष्ट्रपति के प्रतिनिधि की तरह काम करना चाहिए।’’
गहलोत ने 16 अगस्त को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन ‘घोटाले’ के संबंध में सिद्धरमैया के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दी थी।
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि कर्नाटक लोकायुक्त ने श्री साईं वेंकटेश्वर खनिज मामले के संबंध में 23 नवंबर, 2023 को केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी मांगी थी, लेकिन अब तक अनुमति नहीं दी गई है।
राज्य लोकपाल ने सोमवार को फिर से राज्यपाल को एक प्रस्ताव सौंपा, जिसमें कुमारस्वामी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की अनुमति मांगी गयी है।
कुमारस्वामी पर आरोप है कि उन्होंने कानून का उल्लंघन करते0हुए तथा 2007 में मुख्यमंत्री रहते हुए निजी फर्म को खनन पट्टा दिया था।
सिद्धरमैया ने यह भी कहा कि राज्यपाल ने लोकायुक्त को पूर्व भाजपा मंत्रियों - शशिकला जोले, मुरुगेश निरानी और जी. जनार्दन रेड्डी पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी।
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी ओर, टी.जे. अब्राहम ने 26 जुलाई को सुबह 11 बजे राज्यपाल के पास मेरे खिलाफ एक (निजी) शिकायत दर्ज कराई और 10 घंटे बाद मुझे कारण बताओ नोटिस दिया गया। क्या यह भेदभाव नहीं है?’’
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