नयी दिल्ली, 27 नवंबर सरकार ने शुक्रवार को ओला और उबर जैसी कैब कंपनियों के ऊपर मांग बढ़ने पर किराए बढ़ाने की एक सीमा लगा दी है। अब ये कंपनियां मूल किराये के डेढ़ गुने से अधिक किराया नहीं वसूल सकेंगी।
सरकार का यह कदम अहम हो जाता है, क्योंकि लोग कैब सेवाएं देने वाली कंपनियों के अधिकतम किराये पर लगाम लगाने की लंबे समय से मांग कर रहे थे।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा शुक्रवार को जारी मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020 के अनुसार, ‘‘एग्रीगेटर कंपनियों को मूल किराये के 50 प्रतिशत तक न्यूनतम किराये और डेढ़ गुने तक अधिकतम किराये वसूलने की मंजूरी दी जाती है।’’
मंत्रालय ने कहा कि यह संसाधनों के इस्तेमाल को सुलभ करेगा और बढ़ावा देगा, जो कि परिवहन एग्रीगेशन के सिद्धांत का मूल है। यह गतिशील किराये के सिद्धांत को प्रमाणिक बनायेगा, जो मांग व आपूर्ति के अनुसार संसाधनों का इस्तेमाल सुनिश्चित करने में प्रासंगिक है।
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नये दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रत्येक सवारी (राइड) पर लागू किराये का कम से कम 80 प्रतिशत हिस्सा एग्रीगेटर के साथ जुड़े वाहन के चालक को मिलेगा। शेष हिस्सा एग्रीगेटर कंपनियां रख सकती हैं।
मंत्रालय ने कहा कि जिन राज्यों में शहरी टैक्सी का किराया राज्य सरकार ने निर्धारित नहीं किया है, वहां किराया विनियमन के लिये 25-30 रुपये को मूल किराया माना जायेगा। राज्य सरकारें एग्रीगेटर द्वारा जोड़े गये अन्य वाहनों के लिये इसी तरह से किराया निर्धारित कर सकती हैं।
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