मुंबई, सात अप्रैल बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के हड़ताली कर्मचारियों को 22 अप्रैल तक काम पर लौटने का निर्देश देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि जब शेर और मेमने के बीच लड़ाई होती है तो मेनने को बचाना होता है। अदालत ने निगम को भी इन कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।
एमएसआरटीसी के हजारों कर्मचारी राज्य सरकार के कर्मचारियों का दर्जा देने की मांग को लेकर नवंबर 2021 से हड़ताल पर हैं।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम.एस. कार्णिक की खंड पीठ ने बुधवार को कहा था कि वह कर्मचारियों को काम पर लौटने के लिये 15 अप्रैल तक का समय देगी। हालांकि बृहस्पतिवार को इस समयसीमा को एक और हफ्ते के लिये बढ़ा दिया गया।
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ''हमें अपने इन संवैधानिक आदर्शों को ध्यान में रखना चाहिये कि जब ताकतवर और कमजोर के बीच लड़ाई हो तो कमजोर की रक्षा की जानी चाहिये।''
अदालत ने कहा, "हम समयसीमा 22 अप्रैल तक बढ़ा रहे हैं। कर्मचारी भविष्य में ऐसा न करें। हम चाहते हैं कि सभी कर्मचारी काम पर लौट आएं।"
एमएसआरटीसी के वकील अस्पी चिनॉय ने बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय से कहा कि निगम सभी हड़ताली कर्मचारियों को काम पर वापस लेगा और एक चेतावनी देने के अलावा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं करेगा।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)