विदेश की खबरें | जलवायु दूत ने कहा, चीन और अमेरिका को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए साथ आना होगा

कैरी ने बढ़ते तापमान को रोकने और दुनिया को गर्त में जाने से रोकने के लिए जरूरी कार्रवाइयों की गति बढ़ाने की वैश्विक नेताओं को चुनौती दी। उन्होंने यहां यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल क्यू गार्डर्न्स में दिए एक भाषण के दौरान कहा, “सहयोगियों, साझेदारों, प्रतिद्वंद्वियों और यहां तक कि शत्रुओं को भी” साथ मिलकर काम करना चाहिए। क्यू गार्डन्स में पौधों को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “जलवायु संकट हमारे अपने समय की परीक्षा है, और भले ही चीजें धीमी गति से सामने आ रही हों लेकिन कुछ के लिए यह परीक्षा किसी भी पिछली परीक्षा की तरह ही तीव्र और अस्तित्व से जुड़ी हुई है।”

कैरी ने कहा, “समय निकलता जा रहा है।” उन्होंने अगले दशक को निर्णायक बताते हुए कहा कि अगर दुनिया भर के देश वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढ़ने देने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना चाहते हैं तो उन्हें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों को घटाने के प्रयास तेज करने होंगे।

ज्यादातर देशों ने कार्बन उत्सर्जन को 2050 तक समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है, वहीं जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी समिति का कहना है कि तापमान पर लगाम लगाने के लिए इस दशक के अंत तक उत्सर्जन में कम से कम 40 प्रतिशत तक कटौती होनी चाहिए।

स्कॉटलैंड के ग्लासगो में इस साल के अंत में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के अगले जलवायु शिखर सम्मेलन के आयोजक इस कार्यक्रम को “तेजी से होते जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने का आखिरी सबसे अच्छा मौका बता रहे हैं।”

इस सम्मेलन को सीओपी26 के नाम से जाना जाता है जिसका प्राथमिक लक्ष्य देशों के लिए 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को घटाने के “महत्वाकांक्षी” लक्ष्य निर्धारित करना है।

चीन और अमेरिका विश्व में ग्रीनहाउस गैस के सबसे बड़े उत्सर्जक हैं जिसका अर्थ यह है कि अगर वे उत्सर्जन कम करने का बीड़ा नहीं उठाएंगे तो जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के प्रयास विफल हो जाएंगे।

कैरी ने अमेरिका और चीन के बीच अकसर तनावपूर्ण रहने वाले संबंधों का संदर्भ दिया लेकिन कहा कि भविष्य दोनों के सहयोग पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह रहस्य नहीं है कि चीन और अमेरिका के बीच कई मतभेद हैं। लेकिन जलवायु पर सहयोग करना ही एकमात्र रास्ता है जिससे दुनिया को मौजूदा परस्पर आत्मघाती समझौते से बाहर निकाला जा सकता है।”

एपी

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