कैनबरा, पांच नवंबर विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर हमले की घटना को ‘‘बेहद चिंताजनक’’ बताते हुए मंगलवार को कहा कि यह कनाडा में ‘‘चरमपंथी ताकतों’’ को एक तरह से दी जा रही ‘‘राजनीतिक जगह (गुंजाइश)’’ की ओर इंगित करता है।
उन्होंने यहां अपनी ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान रविवार को कनाडा पर ‘‘बिना विस्तृत जानकारी दिए आरोप लगाने की प्रवृत्ति’’ का भी आरोप लगाया।
भारत और कनाडा के बीच चल रहे कूटनीतिक विवाद के बीच जयशंकर रविवार को उत्तर अमेरिकी देश के ब्रैम्पटन में हुई घटना से संबंधित एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे, जहां खालिस्तानी झंडे लिए प्रदर्शनकारियों ने हिंदू सभा मंदिर में लोगों के साथ झड़प की। इससे मंदिर के अधिकारियों और भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न हुई।
जयशंकर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कनाडा में हिंदू मंदिर में जो कुछ हुआ... वह निश्चित रूप से बेहद चिंताजनक है। आपने पहले हमारे आधिकारिक प्रवक्ता का बयान देखा होगा और फिर हमारे प्रधानमंत्री ने भी चिंता व्यक्त की होगी।’’
विदेश मंत्री 3-7 नवंबर तक ऑस्ट्रेलिया की आधिकारिक यात्रा पर हैं।
पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तान चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘‘संभावित’’ संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव पैदा हो गया था। हालांकि, भारत ने इस आरोप को ‘‘ बेबुनियाद’’ बताकर खारिज कर दिया था। निज्जर कनाडा का नागरिक था लेकिन भारत ने उसे आतंकवादी घोषित किया था।
भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा अपनी धरती से गतिविधियां चला रहे खालिस्तान समर्थक तत्वों को बिना किसी रोक-टोक के मौका दे रहा है।
भारत ने कनाडा के आरोपों को दृढ़तापूर्वक खारिज करते हुए छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था तथा निगरानी के दायरे में आये अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य अधिकारियों को कनाडा से वापस बुला लिया।
कैनबरा में प्रेस वार्ता के दौरान जयशंकर से कनाडा द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों के बारे में भी पूछा गया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे तीन बात कहने दें। एक, कनाडा ने विशेष विवरण दिए बिना आरोप लगाने का एक पैटर्न बना लिया है। दूसरा, जब हम कनाडा को देखते हैं, तो हमारे लिए, यह तथ्य कि...हमारे राजनयिक निगरानी में हैं, कुछ ऐसा है जो अस्वीकार्य है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तीसरी वो घटना है जिसके बारे में सज्जन (प्रश्ननकर्ता) ने बात की, वीडियो जरूर देखें। मुझे लगता है कि इससे पता चलेगा कि वहां चरमपंथी ताकतों को किस तरह राजनीतिक जगह (गुंजाइश) दी जा रही है।’’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए, हम स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं ... हम यह भी मानते हैं कि स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। हमने (अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष की ओर इशारा करते हुए) इस बारे में बात की, बिल्कुल उसी तर्ज पर जिस पर मैंने बात की है।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, ‘‘मैं कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह हैं। हिंसा की ऐसी हरकतें भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं कर पाएंगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम कनाडा सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून का शासन कायम रखेगी।’’
इससे पहले, विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि उसे उम्मीद है कि हिंसा में शामिल लोगों को न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। इसने कनाडा सरकार से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि सभी पूजा स्थलों को इस तरह के हमलों से बचाया जाए।
बयान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के हवाले से कहा गया, ‘‘हम कल (रविवार) ब्रैम्पटन, ओंटारियो में हिंदू सभा मंदिर में चरमपंथियों और अलगाववादियों द्वारा की गई हिंसा की निंदा करते हैं। हम कनाडा सरकार से यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि सभी पूजा स्थलों को ऐसे हमलों से बचाया जाए।’’
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