वाशिंगटन, 28 मई अमेरिका की एक अदालत ने टेलीमार्केटिंग फर्जी योजना के मामले में बृहस्पतिवार को एक भारतीय नागरिक को तीन साल कैद की सजा सुनाई।
न्याय मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली के रहने वाले हिमांशु असरी (34) ने व्यापक टेलीमार्केटिंग फर्जी योजना में मुख्य प्रतिभागी होना स्वीकार किया था जिसने अमेरिकी निवासियों को निशाना बनाया और उनसे ठगी की, खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों से।
अमेरिका के कार्यवाहक एटर्नी रिचर्ड बी माइरस ने घोषणा की कि संघीय कारागर में 36 महीनों की सजा के बाद रिहाई तीन वर्ष की संघीय निगरानी में होगी।
असरी की सजा पूरी होने के बाद उसे भारत वापस भेजने की कार्रवाई की जाएगी।
पिछले दिसंबर में अपनी दोष स्वीकृति याचिका में असरी ने स्वीकार किया था कि 2020 की शुरुआत में गिरफ्तार किए जाने से पांच साल पहले तक वह भारत में एक कॉल सेंटर चलाता था जो टेक फर्जीवाड़े में लिप्त था। इस योजना के जरिए कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं से पैसा ठगा जाता था यह बताकर कि उनके कंप्यूटर पर वायरस का हमला हो सकता है।
संघीय अभियोजनों ने आरोप लगाया कि योजना के तहत, असरी कंप्यूटर उपयोगकर्ता के स्क्रीन पर विज्ञापनों का पॉप अप दिखाता था। विज्ञापनों में झूठे तरीके से कहा जाता था कि उन कंप्यूटरों पर मालवेयर का पता चला है और एक टेलीफोन नंबर दिखता था जिस पर मदद के लिए फोन करने को कहा जाता था।
अदालती दस्तावेजों के मुताबिक, इस घोटाले का शिकार होने वालों ने औसतन 482 डॉलरों का भुगतान किया और कई बार तो 1,000 डॉलर तक चुकाया और उन्हे कभी भी कंप्यूटर को सुरक्षित रख सकने की वास्तविक सेवा या मदद नहीं मिली।
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