देश की खबरें | एनबीए, एनएएसी को मिलाकर राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन एजेंसी बनाने का सुझाव

नयी दिल्ली, पांच जुलाई संसद की एक समिति ने उच्च शिक्षा की मूल्यांकन व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) तथा राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) को मिलाकर एक ‘‘राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन एजेंसी’’ के गठन पर विचार करने को कहा है।

राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे के नेतृत्व वाली शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल मामलों संबंधी स्थायी समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है ‘‘ उच्च शिक्षा विभाग को एनबीए और एनएएसी को मिलाकर एक ‘‘राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन एजेंसी’’ बनाने पर विचार करना चाहिए ताकि एक दूसरे के दायरे के उल्लंघन से बचा जा सके और प्रत्यायन की प्रक्रिया निर्बाध तथा कम से कम दस्तावेजीकरण के साथ हो सके ।’’

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने सिफारिश की है कि उच्च शिक्षा विभाग एवं एनबीए एवं एनएएसी जैसे निकायों को उन मामलों में सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार करना चाहिए जहां संस्थान गलत तरीके से अपने उच्च प्रत्यायन रैंक का दावा करते हुए छात्रों के साथ धोखाधड़ी करते पाए जाते हैं ।

रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव ने समिति को एनबीए और एनएएसी के समक्ष पेश आ रही चुनौतियों के बारे में जानकारी दी । उन्होंने कहा कि अभी तक केवल 30 प्रतिशत विश्वविद्यालय और 20 प्रतिशत कालेज ही प्रत्यायन प्रणाली के अधीन हैं।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में संस्थानों के मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के लिये यूजीसी द्वारा स्थापित एक स्वायत्त निकाय है।

एनएएसी ऐसे उच्च शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन एवं प्रत्यायन करता है जो इसके लिये आवेदन करते हैं । इनका मूल्यांकन प्रक्रिया के तहत सात चिन्हित मानदंडों के आधार पर किया जाता है । इनमें पाठ्यक्रम के आयाम, पठन-पाठन एवं मूल्यांकन, शोध, परामर्श एवं विस्तार, आधारभूत ढांचा एवं शिक्षण संसाधन, छात्र सहयोग एवं प्रगति, प्रशासन, नेतृत्व एवं प्रबंधन के अलावा संस्थागत मूल्य एवं अच्छी पहल शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ 25 जनवरी 2022 तक एनएएसी से प्रत्यायन कराने वाले संस्थानों की संख्या 8868 थी । ’’

वहीं, राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) की स्थापना तकनीकी संस्थानों में इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, फार्मेसी एवं वास्तुशास्त्र आदि में डिप्लोमा से स्नातकोत्तर स्तर पर पेश किये जाने वाले कार्यक्रमों की गुणवत्ता दक्षता का मूल्यांकन करने के लिये की गई थी ।

एनबीए कार्यक्रमों का प्रत्यायन करता है, संस्थानों का नहीं ।

रिपोर्ट के अनुसार, संसदीय समिति ने निजी एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों के सम्पूर्ण प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिये एक अध्ययन समूह नियुक्त करने एवं निजी विश्वविद्यालय नियमन 2003 तथा डीम्ड समकक्ष विश्वविद्यालय नियमन 2019 की समीक्षा करने की सिफारिश भी की है।

संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि अच्छे शोध प्रस्तावों को सुगमता से मंजूरी सुनिश्चित करने के लिये विभाग को एक तंत्र बनाना चाहिए ।

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