मुंबई, 16 फरवरी महाराष्ट्र में मुंबई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-बॉम्बे) ने प्रथम वर्ष के बीटेक छात्र की मौत के मामले में ‘समानांतर’ जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। संस्थान ने यह कदम उन आरोपों पर उठाया जिसमें जातीय भेदभाव की बात कही गई है।
संस्थान ने अपने छात्रों से अपील की है कि यदि उनके पास प्रासंगिक जानकारी हो तो वे सामने आएं। संस्थान के निदेशक सुभाशीष चौधरी ने शनिवार को कहा, ‘‘समिति का नेतृत्व प्रोफेसर नंद किशोर करेंगे जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति छात्र प्रकोष्ठ के सदस्य (जिनमें संकाय सदस्य और विद्यार्थी शामिल हैं), कुछ छात्र समन्वयक और आईआईटी बॉम्बे अस्पताल के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी शामिल होंगे।’’
अनुसूचित जाति समुदाय के दर्शन सोलंकी (18) ने कथित रूप से छात्रावास की सातवीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी कर ली थी। यह घटना आईआईटी के पवई परिसर में 12 फरवरी को हुई थी।
छात्र के परिजनों को संदेह है कि उसकी मौत के मामले में कुछ गड़बड़ है और उन्होंने अरोप लगाया है कि उसे भेदभाव का सामना करना पड़ा था।
पवई पुलिस मामले की जांच कर रही है और अहमदाबाद में सोलंकी के घर का दौरा भी किया है। चौधरी ने कहा कि समिति सक्रिय रूप से उन सभी से मिल रही है जिनके पास प्रासंगिक जानकारी हो सकती है।
गुजरात के कांग्रेस विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने इस मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की है।
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