नयी दिल्ली, 12 अप्रैल केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को देश भर के विभिन्न राहत शिविरों में रह रहे प्रवासी कामगारों के लिये भोजन, आश्रय, दवा, मोबाइल एवं वीडियो कॉल सुविधाओं सहित कल्याणकारी उपाय करने को कहा है।
राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के विभिन्न हिस्सों में राहत शिविरों में रह रहे प्रवासी कामगारों के कल्याण के सिलसिले में दिये गये उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लेख किया है।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक मंत्रालय ने कोविड-19 का प्रभावी तरीके से मुकाबला करने के लिये लॉकडाउन को लागू करते हुए शीर्ष न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में आवश्यक कदम उठाने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि देश भर में राहत शिविरों में प्रवासी कामगारों को भोजन, साफ पेयजल और स्वच्छता के अलावा पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
इसके अलावा प्रशिक्षित परामर्शदाता या सभी धर्मों के सामुदायिक समूह के नेताओं को राहत शिविरों का दौरा करना चाहिए और प्रवासी कामगारों की किसी भी आशंका को दूर करना चाहिए।
शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा था कि प्रवासी कामगारों के बीच व्याकुलता और डर को पुलिस तथा अन्य प्राधिकारों द्वारा समझा जाना चाहिए और उन्हें उनके साथ मानवीय तरीके से पेश आना चाहिए।
गृह मंत्रालय के पत्र में सभी राज्यों को प्रवासियों के बीच मनोसामाजिक मुद्दों से निपटने के लिये केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दिये गये निर्देशों को भी दोहराया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि प्रवासी कामगार नये माहौल से कम परिचित हैं, जहां वे अस्थायी रूप से रह रहे हैं। साथ ही उन्हें इस स्थिति में विभिन्न सामाजिक मनोवैज्ञानिक एवं भावनात्मक सदमा लगने का जोखिम है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिये राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी सहित विभिन्न राज्यों से काफी संख्या में प्रवासी कामगारों अपने-अपने मूल निवास स्थान को लौटने लगे। हालांकि उनमें से काफी संख्या में लोग राज्यों एवं जिलों की सीमाओं पर फंस गये।
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