स्टालिन ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पटाखों की बिक्री के पूर्ण प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने को कहा

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में पटाखा निर्माण उद्योग में शामिल लगभग आठ लाख श्रमिकों की आजीविका दांव पर है और उन्होंने दिल्ली, ओडिशा, राजस्थान और हरियाणा में अपने समकक्षों से पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया.

सीएम एमके स्टालिन (Photo credits: ANI)

चेन्नई, 15 अक्टूबर : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (MK Stalin) ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में पटाखा निर्माण उद्योग में शामिल लगभग आठ लाख श्रमिकों की आजीविका दांव पर है और उन्होंने दिल्ली, ओडिशा, राजस्थान और हरियाणा में अपने समकक्षों से पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध ‘‘उचित नहीं है’’. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा निर्धारित मानदंडों के भीतर आने वाले पटाखों की बिक्री को संबंधित राज्यों में अनुमति दी जा सकती है. चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे एक पत्र में स्टालिन ने बताया कि कोविड-19 महामारी का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा कि देश और तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था काफी हद तक विकास और रोजगार के लिए एमएसएमई पर निर्भर है और इस प्रतिबंध का प्रभाव दोनों पर काफी गंभीर रहा है. पत्र की एक प्रति यहां मीडिया में जारी की गई थी.

उन्होंने बताया, ‘‘मेरी सरकार अब केंद्रित हस्तक्षेपों के माध्यम से इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया में है. शिवकाशी शहर के आसपास केंद्रित पटाखा उद्योग राज्य की सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक गतिविधियों में से एक है.’’ उन्होंने कहा कि लगभग आठ लाख श्रमिक अपनी आजीविका के लिए राज्य के पटाखा उद्योग पर निर्भर हैं, जो हमारे देश में सबसे बड़ा है. उन्होंने कहा कि दिवाली के त्योहार के दौरान पटाखों की बिक्री पर चार राज्यों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को उनके ध्यान में लाया गया था. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि आपने वायु प्रदूषण के बारे में चिंताओं के आधार पर यह निर्णय लिया है.’’ स्टालिन ने कहा, ‘‘मैं इस तथ्य की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि उच्चतम न्यायालय ने पहले ही प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की कुछ श्रेणियों पर प्रतिबंध लगा दिया है और अब काफी कम उत्सर्जन वाले हरित पटाखों का निर्माण किया जा रहा है. इसलिए पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध उचित नहीं है. ऐसा प्रतिबंध अन्य देशों में प्रचलित नहीं है.’’यह भी पढ़ें : Lakhimpur Kheri Violence: यूपी के बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह बोले- लखीमपुर खीरी हिंसा से पार्टी को नहीं होगा कोई नुकसान

इसके अलावा यदि अन्य राज्यों द्वारा भी इस तरह का प्रतिबंध लगाया जाता है, तो पूरे उद्योग को बंद करना पड़ेगा, जिससे लगभग आठ लाख लोगों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी गंभीरता से आपसे पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूं.’’ उन्होंने अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय और एनजीटी द्वारा निर्धारित मानदंडों के भीतर आने वाले पटाखों की बिक्री की अनुमति संबंधित राज्यों में दी जा सकती है.

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