नयी दिल्ली, 18 मई वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि के पूर्वानुमान को पहले के 7.8 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया है, ऐसा बढ़ती मुद्रास्फीति और रूस तथा यूक्रेन के बीच लंबी खिंचती लड़ाई के मद्देनजर किया गया है।
एसएंडपी ने अपनी ‘ग्लोबल मेक्रो अपडेट टू ग्रोथ फोरकास्ट्स’ में कहा कि मुद्रास्फीति का लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर बना रहना चिंता का विषय है, ऐसे में केंद्रीय बैंकों को दरों में वृद्धि करना पड़ती है और उत्पादन तथा रोजगार पर बुरा असर पड़ता है।
पिछले वर्ष दिसंबर में इस रेटिंग एजेंसी ने 2022-23 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.8 फीसदी लगाया था। अब इसे चालू वित्त वर्ष (2022-23) में घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया गया है। अगले वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया गया है।
एसएंडपी ने कहा, ‘‘पिछले पूर्वानुमान के बाद से हमारे पूर्वानुमान के प्रति जोखिम बढ़ गया है और यह मजबूती से नीचे की ओर बना हुआ है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लंबा खिंचने की आशंका है जिससे जोखिम बढ़ा है।’’
अनुमान है कि 2021-22 में भारत की जीडीपी वृद्धि 8.9 फीसदी रही।
एसएंडपी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.9 फीसदी रह सकती है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध तथा जिंसों की बढ़ती कीमतों के कारण कई वैश्विक एजेंसियों ने भारत की वृद्धि का पूर्वानुमान घटाया है।
विश्व बैंक ने अप्रैल में भारत की जीडीपी का पूर्वानुमान 8.7 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया था जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 9 फीसदी से घटाकर 8.2 फीसदी और एशियाई विकास बैंक ने 7.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया था। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने वृद्धि पूर्वानुमान 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था।
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