UP: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अयोध्या में कारसेवकों पर पुलिस गोलीबारी को जायज ठहराया

अपने विवादित बयानों के लिये अक्सर चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को अयोध्या में 1990 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार द्वारा 'कार सेवकों' पर गोली चलवाने के आदेश को उचित ठहराते हुए कहा कि ऐसा संविधान की रक्षा के लिए किया गया था.

Swami Prasad Maurya (Photo Credit: ANI)

कासगंज (उप्र), 10 जनवरी : अपने विवादित बयानों के लिये अक्सर चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने बुधवार को अयोध्या में 1990 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार द्वारा 'कार सेवकों' पर गोली चलवाने के आदेश को उचित ठहराते हुए कहा कि ऐसा संविधान की रक्षा के लिए किया गया था. श्रीरामचरित मानस और हिंदू धर्म को लेकर हाल में विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में रहे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य 'बौद्ध एकता समिति गंजडुंडवारा' के तत्वावधान में आयोजित 'बौद्ध जनजागरण सम्मेलन' में भाग लेने के लिए कासगंज में थे. मौर्य ने संवाददाताओं से बातचीत में एक सवाल पर कहा, "अयोध्या में कार सेवकों पर गोलीबारी तत्कालीन सरकार द्वारा संविधान की रक्षा के अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए की गई थी." उन्होंने कहा, "उस समय बड़ी संख्या में अराजक तत्वों ने तोड़फोड़ की थी और तत्कालीन सरकार ने संविधान, शांति और व्यवस्था बचाने के लिए गोलियां चलवाई थीं. यह सरकार का कर्तव्य था और उसने ऐसा किया भी.''

मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने 30 अक्टूबर 1990 को राम भक्तों पर गोली चलाने का आदेश दिया था. उस घटना में पांच कारसेवकों की मौत हुई थी.

इस गोलीबारी को जायज ठहराने वाला मौर्य का बयान उस वक्त आया है जब अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं. विपक्ष द्वारा नरेन्द्र मोदी सरकार पर राम मंदिर के अभिषेक समारोह का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाने के सवाल पर सपा नेता ने कहा, "हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, लेकिन भाजपा लाभ लेने के लिए इसका राजनीतिकरण कर रही है, जबकि पूरा देश जानता है कि मंदिर का निर्माण उच्चतम न्यायालय के आदेश पर हो रहा है." उन्होंने कहा, "जब उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या मामले में आदेश दिया था तब सभी विपक्षी दलों ने इसका स्वागत किया था. इसका मतलब है कि किसी को भी राम मंदिर के निर्माण पर आपत्ति नहीं है, लेकिन भाजपा गलत तरीके से इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रही है. मंदिर तब नहीं बना जब भाजपा के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन बार देश की बागडोर संभाली. इसका मतलब केवल यह है कि मंदिर का निर्माण उच्चतम न्यायालय के आदेश पर हुआ, भाजपा के कारण नहीं.'' यह भी पढ़ें : Bihar: बिहार में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस ‘इत्मीनान’, जदयू जल्दी को लेकर ‘सख्त’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह 22 जनवरी को प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने के लिए अयोध्या जाएंगे, सपा नेता ने स्पष्ट कहा, "मैं भाजपा के किसी भी कार्यक्रम में नहीं जाऊंगा, यह भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रम है, न कि रामलला मंदिर का. " उन्होंने कहा, ''यह भाजपा का कार्यक्रम है और इसलिए वे सूची तय कर रहे हैं कि वहां कौन जाएगा और कौन नहीं जाएगा. जब भाजपा सूची तैयार कर रही है तो उसमें स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम कैसे होगा?'' एक अन्य सवाल के जवाब में मौर्य ने भाजपा पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के जरिये चुनाव जीतने का आरोप लगाया. हालांकि अपने आरोप के बारे में विस्तार से नहीं बताया. उन्होंने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों पर हिंदू और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करने का भी आरोप लगाया.

Share Now

\