देश की खबरें | समाज के कुछ वर्ग कोविड-19 रोधी टीके का विरोध कर रहे हैं : मद्रास उच्च न्यायालय
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चेन्नई, 24 मई मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि समाज के कुछ वर्ग कोविड-19 रोधी टीके का विरोध कर रहे हैं और लोगों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

अदालत ने कहा कि कुछ समुदायों में अंधविश्वास और पुरानी मान्यताओं का चलन वैज्ञानिक उपायों को लागू करने के रास्ते में अवरोधक हैं और समाज के कुछ वर्गों में टीकाकरण का विरोध जारी है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने तमिलनाडु और पड़ोसी पुडुचेरी में कोविड-19 प्रबंधन के संबंध में स्वत: संज्ञान लिए गए एक मामले पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

पीठ ने कहा, ‘‘खासकर ग्रामीण इलाकों में नागरिकों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है ताकि लोग आगे आएं और टीके की खुराक लें।’’

अदालत ने कहा, ‘‘केंद्र और राज्य, दोनों को इस संबंध में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कदम उठाना चाहिए।’’

पीठ ने कहा, ‘‘अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया है कि केंद्र की योजना के तहत इस साल के अंत तक प्रत्येक भारतीय के लिए टीके की 216 करोड़ खुराकें उपलब्ध हो जानी चाहिए।’’

पीठ ने कहा कि ‘‘तमिलनाडु के लिए टीकों का भविष्य का आवंटन कुछ हद तक निराशाजनक प्रतीत होता है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘हालांकि केंद्र ने कहा है कि राज्य की आबादी, संक्रमण दर अन्य पहलुओं के आधार पर टीके दिए जा रहे हैं। केंद्र के हलफनामे में तमिलनाडु के लिए जो आवंटन है उस पर फिर से गौर करने की जरूरत है।’’

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