जरुरी जानकारी | सॉफ्टी आइसक्रीम डेयरी उत्पाद नहीं, 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा: अग्रिम निर्णय प्राधिकरण

नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर वनीला स्वाद में तैयार सॉफ्टी आइसक्रीम ‘मिक्स’ डेयरी उत्पाद नहीं है और उसपर 18 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा। अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) की राजस्थान पीठ ने यह निष्कर्ष दिया है।

वीआरबी कंज्यूमर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लि. ने पाउडर के रूप में वनीला मिश्रण पर कर को लेकर एएआर से संपर्क किया था। उसे उत्पाद के बारे में कहा था कि इसमें 61.2 प्रतिशत चीनी, 34 प्रतिशत दूध के ठोस पदार्थ (स्किम्ड मिल्क पाउडर) और स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थ और नमक सहित 4.8 प्रतिशत अन्य सामग्री शामिल है।

एएआर ने पाया कि मुलायम और मलाईदार उत्पाद बनाने में प्रत्येक कच्चे माल की एक विशिष्ट भूमिका होती है। इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि न केवल उत्पाद की सामग्री, बल्कि ‘सॉफ्ट सर्व’ यानी आइसक्रीम बनाने की मशीन में किया गया प्रसंस्करण भी ‘सॉफ्ट सर्व’ को चिकनी और मलाईदार बनावट देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जीएसटी कानून के अनुसार प्रसंस्करण के जरिये मानव उपभोग के लिए तैयार किये गये भोजन पर 18 प्रतिशत कर लगता है। इसके अलावा दूध पाउडर, चीनी और किसी भी अन्य अतिरिक्त सामग्री, जेली, आइसक्रीम और इसी तरह की तैयारी पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है।

प्राधिकरण ने कहा, ‘‘यह भी स्पष्ट है कि जिस उत्पाद पर सवाल उठाये गये हैं, उसे डेयरी उत्पाद नहीं कहा जा सकता है।’’

इस प्रकार, उत्पाद ‘वनीला मिक्स’ यानी वनीला स्वाद में सूखी सॉफ्टी आइसक्रीम (कम वसा) पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।

एएमआरजी एंड एसोसिएट के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन के अनुसार, फैसले में कहा गया है कि उत्पाद का मुख्य कच्चा माल चीनी है, न कि दूध का ठोस पदार्थ। इससे यह डेयरी आधारित उत्पाद के बजाय प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद बन जाता है।

मोहन ने कहा, ‘‘... यह निर्णय जीएसटी वर्गीकरण निर्धारित करने में प्रमुख सामग्रियों और विनिर्माण प्रक्रियाओं के महत्व को रेखांकित करता है।’’

एकेएम ग्लोबल के कर भागीदार संदीप सहगल ने कहा कि यह फैसला अमृत फूड्स मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के उलट है। उस मामले में न्यायालय ने ने संस्थागत बिक्री के लिए ‘मिल्क शेक मिक्स’ और ‘सॉफ्ट सर्व मिक्स’ को ‘डेयरी उत्पाद’ के रूप में वर्गीकृत किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘इन फैसलों के बीच का अंतर जीएसटी लगाने के लिए उत्पादों को वर्गीकृत करते समय कंपनियों के सामने आने वाली जटिलताओं को बताता है। यह कर देनदारी निर्धारित करने में कच्चे माल की संरचना और उत्पाद के उपयोग के महत्व को बताता है।’’

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