नयी दिल्ली, नौ दिसंबर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले वापस लिये जाने और ‘एमएसपी’ सहित अपनी मुख्य लंबित मांगों को स्वीकार करने का एक ‘‘औपचारिक पत्र’’ केंद्र सरकार से प्राप्त होने के बाद एक साल से चला आ रहा अपना आंदोलन स्थगित करने की बृहस्पतिवार को घोषणा की।
आंदोलन स्थगित करते हुए 40 किसान यूनियन का नेतृत्व कर रहे एसकेएम ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को ‘‘विजय दिवस’’ के रूप में मनाएंगे, जिसके बाद वे अपने घर लौटेंगे।
किसान नेताओं ने जोर देते हुए कहा कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है और वे 15 जनवरी को यह देखने के लिए एक बैठक करेंगे कि सरकार ने उनकी मांगें पूरी की है, या नहीं।
एसकेएम कोर कमेटी के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह अंत नहीं है क्योंकि आंदोलन अभी केवल स्थगित हुआ है। हमने 15 जनवरी को फिर से बैठक करने का फैसला किया है।’’
मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं - सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। संसद ने 29 नवंबर को इन कानूनों को निरस्त कर दिया था, लेकिन किसानों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने एसकेएम को पत्र लिखा है और किसानों से अपना प्रदर्शन खत्म करने की अपील की है।
पत्र में किसानों की पांच मुख्य मांगों का जिक्र किया गया है, जो पिछले महीने संसद में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने के बाद लंबित हैं।
आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाने को स्वीकार करने के अलावा सरकार ने एसकेएम को यह भी सूचित किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने के लिए गठित होने वाली एक समिति में एसकेएम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि एसकेएम ने बुधवार को कहा था कि वह अपनी लंबित मांगों पर केंद्र के एक संशोधित मसौदा प्रस्ताव पर सहमत हो गया है, लेकिन सरकार के लेटरहेड पर एक औपचारिक आश्वासन मांगा था।
एसकेएम के एक अन्य सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘‘यह देखने के लिए कि क्या सरकार ने सभी मांगों को पूरा किया है, 15 जनवरी को एक समीक्षा बैठक बुलाई जाएगी। अगर ऐसा नहीं होता है, तो हम विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू करने का निर्णय कर सकते हैं।’’
किसान नेताओं ने यह भी कहा कि किसान 11 दिसंबर को अपने-अपने स्थानों पर विजय मार्च निकालेंगे।
तीन कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा किसानों की अन्य मांगें पूरी कर लिए जाने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान विजेता की तरह जश्न मना रहे हैं, मिठाईयां बांट रहे हैं तथा गीत गा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने किसान यूनियन के प्रदर्शन स्थगित करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे भारतीय जनता पार्टी को केंद्र तथा राज्य दोनों में पार्टी की सरकारों द्वारा किए गए कामों को लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अपना एजेंडा तय करने में मदद मिलेगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भाजपा के प्रमुख जाट चेहरे बालियान ने कहा कि पार्टी की स्थिति में और सुधार होगा क्योंकि ‘‘किसान नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यों से संतुष्ट होकर घर लौट रहे हैं।’’ उन्होंने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह न केवल मेरे लिए बल्कि हम सभी के लिए खुशी की बात है और वे (किसान) सरकार के कार्यों से संतुष्ट होकर घर जा रहे हैं।’’
एसकेएम ने उन लोगों से माफी मांगी, जिन्हें इसके विरोध प्रदर्शन के कारण असुविधा का सामना करना पड़ा था।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की नेता हरसिमरत कौर बादल ने बृहस्पतिवार को किसानों के साल भर से जारी आंदोलन को स्थगित करने के फैसले का स्वागत किया और इसे ‘‘लोकतंत्र की जीत’’ बताया। कृषि कानूनों का विरोध करने के बाद मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देने वाली बादल ने कहा, ‘‘जब सरकार नहीं सुनती है, तो लोग विरोध करने के लिए मजबूर होते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि किसानों ने आंदोलन स्थगित कर दिया है, लेकिन उनके घाव भरने में समय लगेगा।’’
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘किसान 11 दिसंबर से दिल्ली सीमा बिंदुओं को खाली करना शुरू कर देंगे और इसमें कुछ समय लग सकता है।’’ उन्होंने कहा कि एसकेएम बरकरार रहेगा।
एसकेएम की घोषणा के बाद, प्रदर्शनकारी अपने तंबू हटाते देखे गए जबकि किसान नेताओं ने कहा कि वे शनिवार को अपने-अपने स्थानों के लिए रवाना होंगे।
मोर्चा ने यह भी घोषणा की कि 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर हरमिंदर साहिब में एक विशेष अरदास की जाएगी।
मोर्चा की उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी के सदस्य शिव कुमार कक्का ने आंदोलन के कारण दिक्कतों का सामना करने वाले निवासियों और व्यापारियों से माफी मांगी। कक्का ने कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक जीत है...।’’
किसान नेता एवं एसकेएम सदस्य योगेंद्र यादव ने बताया कि कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने लंबित मांगों पर विचार करने के संबंध में पत्र बृहस्पतिवार सुबह भेजा।
यादव ने कहा कि किसान शुक्रवार को वापस जाना चाहते थे, लेकिन इसी दिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और अन्य का अंतिम संस्कार किया जाएगा जिनकी तमिलनाडु में बुधवार को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। इसलिए प्रदर्शनकारी शनिवार से अपने घरों को वापस जाना शुरू करेंगे।’’
यादव ने कहा, ‘‘आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है, इसे स्थगित किया गया है। एमएसपी के लिए संघर्ष जारी है। लखीमपुर खीरी हिंसा के दोषी अभी भी सलाखों के पीछे नहीं हैं। हम 15 जनवरी को यह तय करेंगे कि संघर्ष को कैसे आगे बढ़ाया जाए।’’
केंद्र की ओर से एसकेएम को भेजे पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की सरकारें किसानों के खिलाफ मामले तुरंत वापस लेने पर राजी हो गई हैं। इसमें कहा गया है कि दिल्ली और अन्य राज्यों में किसानों के खिलाफ दर्ज मामले भी वापस लिए जाएंगे।
केंद्र ने पत्र में किसानों को यह भी सूचित किया है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवार के सदस्यों के परिजनों को मुआवजा देने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
इसने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक सरकार एसकेएम के साथ किसानों को प्रभावित करने वाले प्रावधानों पर चर्चा नहीं करती, तब तक बिजली संशोधन विधेयक संसद में पेश नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार के पत्र में कहा गया है कि पराली जलाने को पहले ही अपराध से मुक्त कर दिया गया है।
एसकेएम कोर कमेटी के सदस्य दर्शन पाल ने कहा कि पंजाब में स्थिति बदलने के लिए किसान समूहों को अब एक दबाव समूह बनाना चाहिए न कि एक राजनीतिक दल। उन्होंने कहा कि एसकेएम ने 19 नवंबर को 60 प्रतिशत जीत हासिल की थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की गई थी और 35 प्रतिशत बृहस्पतिवार को हासिल किया गया। उन्होंने एक तरह से यह संकेत दिया कि शेष पांच प्रतिशत तब पूरी होगी जब सभी मांगें पूरी होंगी।
पाल ने कहा, ‘‘15 जनवरी की बैठक में एसकेएम को राष्ट्रीय स्तर के मोर्चा के रूप में पेश करने पर भी चर्चा होगी। जो किसान नेता राजनीति में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें एसकेएम छोड़ देना चाहिए। एसकेएम गैर राजनीतिक रहेगा।’’
विरोध स्थलों पर किसान घर वापस जाने के लिए उत्सुक थे। हालांकि, दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल रावत के निधन के कारण कोई बड़ा जश्न नहीं मनाया गया। किसान नेताओं ने भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)