कोलकाता, 26 नवंबर मंगलवार को संविधान दिवस मनाने के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक प्रस्ताव का विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विरोध किया और दावा किया कि इसमें केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए राजनीतिक बयान दिए गए हैं।
विधानसभाध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय ने भारत के संविधान को अंगीकार किये जाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रस्ताव पेश किया।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सदन में प्रस्ताव पर चर्चा में कहा कि प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया जा सकता।
उन्होंने दावा किया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार को निशाना बनाया गया है और प्रस्ताव में राजनीतिक बातें कही गई हैं, “जो सर्वसम्मति से पारित होने के लिए गैर-राजनीतिक होनी चाहिए थीं”। उन्होंने कहा कि ये स्वीकार्य नहीं हैं।
प्रस्ताव के पक्ष में बोलते हुए तृणमूल कांग्रेस सदस्य और राज्य मंत्री मानस भुनिया ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य बने जहां सभी धर्म शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रहें।
मंत्री फिरहाद हकीम ने दावा किया कि संविधान में निहित धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को देश के कुछ स्थानों पर बाधित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह अधिकार पश्चिम बंगाल में पूरी तरह प्रभावी है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि वक्फ संशोधन विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का अपमान है और यह बोर्ड की वर्षों पुरानी शक्तियों को छीनने का प्रयास है।
हकीम ने सवाल उठाया कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने से क्या प्रभाव पड़ा है, उन्होंने दावा किया कि वहां उग्रवाद और सीमापार आतंकवाद अब भी जारी है।
उपसभापति आशीष बनर्जी ने कहा कि प्रस्ताव पर चर्चा बुधवार को भी जारी रहेगी।
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