मुंबई, 28 नवंबर महाराष्ट्र में सरकार गठन की प्रक्रिया को कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बीच बृहस्पतिवार रात दिल्ली में होने वाली महत्वपूर्ण बैठक के बाद गति मिलने की संभावना है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि यह बैठक महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि ऐसी खबरें आई हैं कि फडणवीस का तीसरी बार मुख्यमंत्री बनना तय समझे जाने की धारणा के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व अपने कुछ मराठा नेताओं के नामों पर विचार कर रहा है।
मुख्यमंत्री के चयन में जातिगत समीकरण की बड़ी भूमिका होने वाली है, क्योंकि सभी दलों के 288 विधायकों में से अधिकतर मराठा समुदाय से हैं।
फडणवीस ब्राह्मण समुदाय से हैं और पहली बार 2014 में मुख्यमंत्री बने थे और फिर 2019 में कुछ समय के लिए फिर से मुख्यमंत्री बने। सूत्रों ने कहा, ‘‘अगर आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का हुक्म चलता है तो फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की संभावना उज्ज्वल है।’’
शिवसेना नेताओं की शिंदे को मुख्यमंत्री का एक और कार्यकाल देने की जोरदार मांग के बीच, कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिंदे ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से कहा है कि वह इस पद के लिए भाजपा की पसंद का पालन करेंगे।
शिंदे के एक करीबी सहयोगी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री द्वारा नयी सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने की संभावना नहीं है।
शिवसेना के विधायक और प्रवक्ता संजय शिरशाट ने हालांकि कहा कि शिंदे मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। शिरसाट कहा, ‘‘वह शायद उपमुख्यमंत्री नहीं बनना चाहेंगे। मुख्यमंत्री पद पर आसीन व्यक्ति के लिए ऐसा करना सही नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि शिवसेना किसी दूसरे नेता को उपमुख्यमंत्री बनाने के लिए कहेगी।
वहीं, शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा है कि उन्हें अपने पिता एकनाथ शिंदे पर गर्व है, जिन्होंने व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को दरकिनार करते हुए ‘‘गठबंधन धर्म’’ का पालन करने का उदाहरण पेश किया है।
सांसद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उनके पिता का महाराष्ट्र के लोगों के साथ अटूट रिश्ता है। श्रीकांत शिंदे ने कहा, ‘‘मुझे अपने पिता और शिवसेना प्रमुख पर गर्व है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर भरोसा बनाए रखा और अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को अलग रखते हुए गठबंधन धर्म का (बेहतरीन) उदाहरण पेश किया।’’
भाजपा नीत महायुति गठबंधन ने हाल में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में 288 सदस्यीय सदन में 230 सीट पर जीत दर्ज की तथा विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) को 46 सीट पर समेट दिया।
भाजपा ने 132 सीट, शिवसेना ने 57 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 41 सीट जीतीं।
एमवीए में शामिल शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीट, कांग्रेस ने 16 और शरद पवार की राकांपा (एसपी) ने 10 सीट पर जीत दर्ज की।
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