मुंबई: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) से संबंधित कुछ प्रक्रियागत नियमों को सख्त बनाने के साथ ही मंगलवार को कई अन्य नियामकीय प्रावधानों में भी बदलाव किए. सेबी के निदेशक मंडल की बैठक में ये निर्णय लिए गए. इस बैठक में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPO), वैकल्पिक निवेश कोष (AIF), म्युचुअल फंड (Mutual Fund) और समाधान प्रक्रिया से जुड़े नियमों में भी बदलाव का फैसला किया गया. Share Market: शेयर बाजार में हाहाकार, पिछले दो कारोबारी सत्रों में गिरावट से निवेशकों को 11.45 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान
सेबी ने एक बयान में कहा कि उसके निदेशक मंडल ने आईपीओ से प्राप्त राशि के इस्तेमाल से जुड़े नियमों को कड़ा कर दिया है। इसके अलावा एंकर निवेशकों के लिए ‘लॉक-इन’ की अवधि बढ़ाकर 90 दिन कर दी गई है.
सेबी ने इकाइयों द्वारा अंतिम समाधान आवेदन दाखिल करने की समयसीमा को भी तर्कसंगत बनाते हुए 60 दिन कर दिया है. यह सीमा कारण बताओ नोटिस मिलने की तारीख से लागू होगी. इसके अलावा बाजार नियामक ने पूंजी जारी करने और खुलासा अनिवार्यताओं से जुड़े नियमनों में बदलाव को भी मंजूरी दी.
सेबी ने कहा कि निदेशक के रूप में नहीं चुने जा सके व्यक्ति को फिर से निदेशक बनाने से संबंधित नियम भी सख्त किए गए हैं. किसी सूचीबद्ध कंपनी की वार्षिक आम सभा में ही पूर्णकालिक निदेशकों की नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति से संबंधित प्रावधान जोड़े गए हैं.
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