देश की खबरें | संभल हिंसा : तुर्क-पठान बिरदारियों की प्रतिद्वंद्विता के दावों ने छेड़ी नयी बहस

संभल, (उप्र), 26 नवम्बर संभल में हुई सांप्रदायिक हिंसा में अब तुर्क और पठान समुदायों के बीच कथित प्रतिद्वंद्विता का एक नया पहलू सामने आने के दावे किये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने हिंसा के लिये मुस्लिम समुदाय की इन दो बिरादरियों के बीच 'वर्चस्व की राजनीति' को जिम्मेदार ठहराकर एक नयी बहस छेड़ दी है।

उत्तर प्रदेश के आबकारी मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता नितिन अग्रवाल ने सोमवार को 'एक्स' पर 'सपा प्रायोजित हिंसा' हैशटैग से की गयी पोस्ट में कहा, ''संभल की आगजनी और हिंसा वर्चस्व की राजनीति का नतीजा है। तुर्क-पठान विवाद ने न केवल शांति भंग की, बल्कि आम लोगों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिये। उप्र पुलिस की तत्परता सराहनीय है।''

अग्रवाल ने मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत में अपने दावे को दोहराते हुए कहा कि हिंसा 'पूर्व नियोजित' थी और यह तुर्क समुदाय से आने वाले संभल के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और पठान बिरादरी का प्रतिनिधित्व करने वाले संभल सदर सीट से विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल के नेतृत्व वाले समूहों के बीच प्रतिद्वंद्विता के कारण पैदा हुई थी।

संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने भी सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत में दो गुटों के बीच प्रतिद्वंद्विता की तरफ इशारा किया था।

उन्होंने कहा था, ''भीड़ ने अपने ही लोगों पर पथराव किया और गोलियां चलायीं। इससे लगता है कि उनमें आपस में भी कुछ रहा होगा।''

संभल की एक स्थानीय अदालत के आदेश पर रविवार को कोट पूर्वी मुहल्ले में स्थित शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गयी थी तथा 25 अन्य जख्मी हो गये थे। अदालत में दायर याचिका में दावा किया गया था कि यह स्थल मूल रूप से हरिहर मंदिर था।

जहां मंत्री अग्रवाल ने हिंसा को तुर्क और पठान बिरादरियों की आपसी प्रतिद्वंद्विता से जोड़ा है, वहीं स्थानीय इतिहासकारों और राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने अलग-अलग नजरिये पेश किये हैं।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मानवेंद्र कुमार पुंढीर ने तुर्क-अफगान बिरादरियों के बीच प्रतिद्वंद्विता के दावों को गलत बताया है।

पुंढीर ने कहा, ''यह कहानी पूरी तरह से बेबुनियाद है और इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है।"

उन्होंने कहा कि मध्य एशियाई आक्रमणकारियों और अफगानों के बीच मध्ययुगीन काल की प्रतिद्वंद्विता आज के समय में प्रासंगिक नहीं है।

पुंढीर ने संवैधानिक सिद्धांतों के पालन पर जोर देते हुए कहा, ''ऐसे हर विवाद का फैसला देश के संविधान और पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के आधार पर किया जाना चाहिए। अगर हम ऐसे ही मुद्दों को उठाते रहेंगे, तो इससे अराजकता पैदा होगी।''

बर्क और महमूद परिवारों के बीच प्रतिद्वंद्विता लंबे समय से संभल के राजनीतिक परिदृश्य पर छायी है। समाजवादी पार्टी (सपा) से जुड़े दोनों परिवार अक्सर एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते रहे हैं।

हालांकि, सपा के जिला अध्यक्ष असगर अली अंसारी ने दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव के दावे को गलत बताते हुए कहा, ''ये आरोप निराधार हैं। दोनों नेताओं ने चुनावों में एक-दूसरे का समर्थन किया था।''

पुलिस अधीक्षक के.के. विश्नोई ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण सीधे तौर पर हिंसा होने के सवाल पर जवाब देने से परहेज करते हुए कहा कि मामले की जांच की जा रही है और उसके आधार पर कार्रवाई होगी।

शांति समिति के सदस्य और अखिल भारतीय व्यापार मंडल के नेता हाजी एहतेशाम ने दावा किया कि हिंसा बाहरी लोगों द्वारा भड़काई गई थी और जो हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्होंने शांति की अपील करते हुए कहा, ''हमें आगे बढ़ना चाहिए और शांति बहाल करनी चाहिए।''

सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य शिव शंकर शर्मा ने कहा कि ऐसी घटनाओं से माहौल खराब होता है। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार सर्वेक्षण किया जा रहा था और किसी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए थी। उनके मुताबिक, संभल के लोग सांप्रदायिक सद्भाव का पुनर्निर्माण करेंगे और फिर से मिलकर काम करेंगे।''

व्यापारी दीपक कुमार ने कहा कि संभल हमेशा से शांतिपूर्ण जगह रही है। उन्होंने कहा, ''मुझे समझ में नहीं आ रहा कि उस दिन ऐसा क्या हुआ कि इतनी अशांति फैल गई।''

महिला उत्थान समिति की अध्यक्ष सीमा आर्य ने कहा, ''मुस्लिम समुदाय को यह समझना चाहिए कि यह सर्वेक्षण अदालत के आदेश के तहत किया गया था और इस तरह की अतिवादी प्रतिक्रियाएं गैरजरूरी थीं।''

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