यात्रियों की सुरक्षा से कभी भी समझौता नहीं किया जा सकता: दिल्ली उच्च न्यायालय
Delhi High Court | PTI

नयी दिल्ली, 16 जुलाई : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि यात्रियों की सुरक्षा से कभी भी समझौता नहीं किया जा सकता और दोषी पायलट के प्रति अनावश्यक नरमी उनकी (यात्रियों की) सुरक्षा की दृष्टि से हानिकारक होगी.इसके साथ ही अदालत ने परीक्षण में शराब पीने के दोषी पाये गये संबंधित पायलट को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और उसका लाइसेंस निलंबन बरकरार रखा. उच्च न्यायालय ने कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने रक्त में अल्कोहल की मात्रा के संबंध में किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त न करने की नीति को अनिवार्य किया है, क्योंकि पायलट और चालक दल के सदस्यों के सांस, मूत्र या रक्त में अल्कोहल की मात्रा नागरिक विमानन नियमों (सीएआर) के अनुसार शून्य निर्धारित की गयी है.

इसने कहा कि पायलट के रूप में उड़ान संचालन के समय याचिकाकर्ता (पायलट) को शराब, नशीले पदार्थ या उत्तेजक दवा के प्रभाव में नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह विमान यात्रियों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. अदालत ने कहा कि यही वजह है कि सीएआर के अनुरूप उड़ान से पहले श्वसन परीक्षण (ब्रेथ एनालाइजर) किया जाता है और जब याचिकाकर्ता का यह परीक्षण कराया गया, यह पॉजिटिव पाया गया. इसने यह भी कहा कि यह दूसरा मौका था जब उसका परीक्षण ‘पॉजिटिव’ पाया गया. यह भी पढ़ें : कर्नाटक : ‘कहीं से भी पंजीकरण’ प्रणाली को सभी जिलों तक विस्तारित करने का निर्देश

न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने कहा, ‘‘यात्रियों की सुरक्षा से कभी समझौता नहीं किया जा सकता या उसे कमजोर नहीं किया जा सकता. गलती करने वाले पायलट के प्रति अनावश्यक नरमी यात्रियों की सुरक्षा के लिए हानिकारक होगी.’’ उच्च न्यायालय ने पायलट की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने तीन साल के लिए लाइसेंस को निलंबित किये जाने के आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया था. इसने कहा कि याचिकाकर्ता राहत का हकदार नहीं है और याचिका में कोई दम नहीं है. याचिकाकर्ता 2020 में घटना के समय एयर एशिया (इंडिया) लिमिटेड के साथ कमांड (कैप्टन) के रूप में कार्यरत था.