विदेश की खबरें | सेना को मजबूत करने और यूक्रेन पर पकड़ बनाने के लिए रूस ने उठाए कदम

खेरसॉन और जापोरिजिया क्षेत्र पर लागू होने वाले पुतिन के फरमान के बाद रूस की पूर्वी यूक्रेन के बीच स्थित क्षेत्र पर पकड़ मजबूत हो सकती है, जहां मास्को समर्थित अलगाववादियों ने क्रीमिया प्रायद्वीप समेत कुछ क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है।

रूस की सेना यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक गढ़ डोनबास के लिए व्यापक यु्द्ध लड़ रही है। क्रेमलिन के अपनी सैन्य मशीनरी को मजबूत करने की कोशिश के संकेत के तौर पर, रूसी सांसदों ने स्वैच्छिक सैन्य अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों के लिए 40 साल की आयु सीमा को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की।

रूसी संसद की रक्षा समिति के अध्यक्ष आंद्रेई कार्तपोलोव ने कहा कि इस उपाय से ‘‘इन-डिमांड’’ कौशल वाले लोगों को काम पर रखना आसान हो जाएगा।

रूस के अधिकारियों ने कहा कि यूक्रेन में केवल स्वयंसेवक अनुबंध सैनिकों को लड़ने के लिए भेजा जाता है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि युद्ध के शुरुआती चरणों में गलती से कुछ सैनिकों को लड़ाई में शामिल किया गया था।

क्रेमलिन ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा कि पड़ोसी देश पर रूस के आक्रमण के तीन महीने बाद पुतिन ने मॉस्को में एक सैन्य अस्पताल में यूक्रेन में घायल हुए कुछ सैनिकों से मुलाकात की।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की घायल सैनिकों, नागरिकों और बच्चों से मिलने ऐसे समय में गए जब रूसी सैनिक कीव के बाहरी इलाके में लड़ रहे थे।

जेलेंस्की ने बुधवार को दोहराया कि वह पुतिन के साथ सीधे बातचीत करने के लिए तैयार होंगे, लेकिन मॉस्को को आक्रमण से पहले पीछे हटने की जरूरत है और यह दिखाना होगा कि वह ‘‘खूनी युद्ध से कूटनीति में बदलाव’’ के लिए तैयार है।

उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन सभी कब्जे वाले क्षेत्रों से रूसी सैनिकों को खदेड़ना चाहता है।

जेलेंस्की ने कहा ‘‘यूक्रेन तब तक लड़ेगा जब तक कि वह अपने सभी क्षेत्रों को पुनः प्राप्त नहीं कर लेता।’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)