नयी दिल्ली, नौ दिसंबर राज्यसभा में सोमवार को सत्ता पक्ष एवं विपक्ष ने अलग-अलग मुद्दों पर भारी हंगामा किया जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न करीब तीन बजकर दस मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सदस्यों ने कांग्रेस तथा उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया और इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने अदाणी समूह से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और विपक्षी सदस्यों ने अदाणी समूह से जुड़े मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। विपक्ष के कुछ सदस्य अपनी सीट से आगे आ गए।
हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उनके कक्ष में सदन के नेता जेपी नड्डा और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ उनकी बैठक हुई।
उन्होंने कहा, "बैठक का उद्देश्य सदन में निर्बाध कामकाज सुनिश्चित करना था। दोनों पक्षों ने खुलकर चर्चा की और संकेत दिया कि राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता हमारे लिए पवित्र है। ’’
धनखड़ ने कहा कि नेताओं ने मंगलवार को सुबह 10:30 बजे फिर से उनके कक्ष में मिलने पर सहमति जताई है।
इसके बाद उन्होंने सभी सदस्यों से अपील की कि वे संविधान की शपथ पर सावधानीपूर्वक विचार करें ताकि राष्ट्र की अखंडता प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जा सके।
सभापति ने कहा कि देशवासियों की जो आकांक्षाएं हैं, इस सदन को भी उन्हें परिलक्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब देश गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है तो सदन को एक स्वर में बात करनी चाहिए ताकि लोग प्रेरित हों और देशविरोधी ताकतों को परास्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि दोनों पक्षों के सदस्य देश के लिए उदाहरण पेश करेंगे।
सभापति ने सदस्यों से आत्मचिंतन करने तथा सदन को सुचारू रूप से चलने देने की अपील की। हालांकि सदन में शोरशराबा जारी रहा और सभापति ने अपराह्न करीब 03:10 बजे बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सूचीबद्ध सभी कार्यों को नियम 267 के तहत स्थगित कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग संबंधी नोटिस खारिज किए जाने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया।
भाजपा के लक्ष्मीकांत बाजपेयी को शून्यकाल में बोलने का मौका दिया गया और उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बोलना आरंभ किया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उनकी टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब सभापति ने नियम 267 के तहत नोटिस खारिज कर दिए हैं तो उसमें उल्लिखित मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘‘बहुत देर से मैंने अपना हाथ उठाया हुआ था। सदन के नेता ने कुछ कहा तो मैं उससे सहमत नहीं था... इसलिए मैंने ऊंगली उठाकर आपका ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की। लेकिन आपने मुझे मौका नहीं दिया। आपने मंत्री को बुला लिया। यह अच्छा नहीं है।’’
इस पर धनखड़ ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को उनके ऊपर आरोप लगाने की बजाय अपनी बात रखनी चाहिए।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने भी नोटिस खारिज किए जाने के बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों को बोलने का अवसर देने पर सवाल उठाया। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस हो गई। हंगामा के चलते सभापति ने 11 बज कर 42 मिनट पर कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
एक बार के स्थगन के बाद जब बैठक शुरू हुई तो सभापति ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य राधामोहन दास अग्रवाल का नाम पुकारा।
अग्रवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग किस प्रकार से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और अमेरिकी उद्योगपति जॉर्ज सोरोस की मदद से अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के एजेंट बनकर इस देश में विखंडन पैदा करना चाहते हैं। इस दौरान राजग के सदस्य हंगामा कर रहे थे।
जनता दल (यूनाईटेड) के संजय झा ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट आई है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का जॉर्ज सोरोस से संबंध है।
झा ने कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसमें भी सोरोस की भूमिका है।
विपक्ष के नेता खरगे ने सत्ताधारी दल के सदस्यों की ओर से हंगामा किए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि किसी सदस्य पर आरोप लगाना उचित नहीं है, खासकर तब जब वह सदन में उपस्थित ना हो।
भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से किसी भी सदस्य का नाम नहीं लिया गया है और नेता प्रतिपक्ष की टिप्पणी से पता चलता है कि उन्होंने स्वत: स्वीकार किया है कि ‘वह’ सदन में अनुपस्थित सदस्यों में से ही कोई है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए सत्ताधारी दल के सदस्यों की ओर से जानबूझकर हंगामा किया जा रहा है।
कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने आसन से सवाल किया कि सत्ताधारी दल के सदस्यों को किस नियम के तहत बोलने की इजाजत दी रही है।
माकपा के जॉन ब्रिटास ने मांग की कि जॉर्ज सोरोस के साथ ही अदाणी मुद्दे पर भी सदन में चर्चा होनी चाहिए।
भाकपा के पी संदोष ने कहा कि अदाणी को बचाने के लिए सत्ता पक्ष के सदस्य जानबूझकर हंगामा कर रहे हैं।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार अदाणी को बचाना चाहती है, इसलिए यह सब किया जा रहा है।
कांग्रेस के ही दिग्विजय सिंह ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि किस नियम के तहत उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा शुरु की है।
हंगामा न थमता देख, सभापति ने 12 बज कर 15 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे उच्च सदन की बैठक फिर शुरू होने पर सदन में पहले जैसा ही नजारा देखने को मिला। सत्ता पक्ष के सदस्य नारेबाजी कर रहे थे। हंगामे के बीच वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक, 2024 चर्चा एवं पारित कराने के लिए सदन के पटल पर रखा। किंतु हंगामे के कारण चर्चा शुरू नहीं हो सकी।
नेता सदन जे पी नड्डा ने कहा कि जिस तरह से घटनाएं घटी हैं और जिस तरह से चर्चाएं हो रही हैं, वह ‘हमारे सदस्यों को बहुत उद्धेलित कर रही हैं।’
नड्डा ने कहा कि देश की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि खबरें आ रही हैं कि ‘फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसेफिक’ का संबंध जिस प्रकार से जार्ज सोरोस के साथ सामने आता है, जो बहुत चिंताजनक है और ‘जिसकी सह अध्यक्षा हमारे ही सदन की एक वरिष्ठ सदस्य हैं।’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता विदेश में जाते हैं और वहां भी वही बोलते हैं जिसे जार्ज सोरोस प्रचारित करता है। उन्होंने कहा, ‘जार्ज सोरोस के कोष से चलने वाले फोरम या फाउंडेशन जिस बात का प्रचार करते हैं, उनको कांग्रेस का वरिष्ठ नेता उठाता है और देश को अस्थिर करने के लिए उन बातों को दोहराता है’ ’
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