मथुरा (उप्र), 20 अक्टूबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख दिलीप बिस्पुते ने रविवार को कहा कि संघ समाज में परिवर्तन लाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।
बिस्पुते ने कहा कि समाज में लोगों को पांच परिवर्तन अर्थात पांच विषयों को ध्यान में रखना चाहिए।
वह दीनदयाल गौविज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने उन पांच विषयों का उल्लेख करते हुए कहा, “स्वदेशी को हम सभी को अपने जीवन में उतारना है। दूसरे, नागरिक कर्तव्य अर्थात नियमों एवं कानून के अंतर्गत व्यवहार करने से ही राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा।''
बिस्पुते ने तीसरे पायदान पर सामाजिक समरसता का उल्लेख करते हुए कहा कि आपस में जातिगत ऊंच-नीच व भेदभाव समाप्त करना होगा और समाज के सभी वर्गों का आपस में मिलना व एक-दूसरे के सुख-दुख में हिस्सा लेने की प्रवृत्ति को स्वभाव में लाना होगा।
उन्होंने चौथे विषय का जिक्र करते हुए कहा, “हमें पर्यावरण की चिंता करनी होगी, क्योंकि इससे उपजी ग्लोबल वार्मिंग और वातावरण का बदलता परिदृश्य हमारे लिए महती चिंता का विषय है।''
बिस्पुते ने पांचवें व अंतिम स्तर पर कुटुंब प्रबोधन पर भी ध्यान देने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, ''परिवार में बच्चे संस्कारित हो रहे हैं कि नहीं, इसकी चिंता भी हमें ही करनी होगी, क्योंकि उनमें संस्कार बचेंगे, तभी परिवार बचेंगे।''
संघ के सह बौद्धिक प्रमुख ने कहा, “इन्हीं पांच विषयों को हमें अपने व्यवहार व स्वभाव में शामिल करना होगा।”
उन्होंने नागरिक अनुशासन को लेकर अनुबोधन देते हुए स्वयंसेवकों को सरकारी नियमों का अक्षरशः पालन करने की शपथ दिलाई।
बिस्पुते ने कहा, “स्वाधीनता की लड़ाई तीन विचारों को लेकर लड़ी गई थी -स्वराज, स्वधर्म और स्वदेशी। इसलिए हमें जीवन में स्वदेशी वस्तुओं का अनुग्रहण करना चाहिए।”
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