जरुरी जानकारी | खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 7.34 प्रतिशत हुई, औद्योगिक उत्पादन में 8 प्रतिशत की गिरावट

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर वृहत आर्थिक आंकड़ों के लिहाज से सोमवार को झटका लगा। जहां फल, सब्जी जैसे खाने के सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर महीने में उछलकर आठ महीने के उच्चतम स्तर 7.34 प्रतिशत पहुंच गयी वहीं औद्योगक उत्पादन में अगस्त महीने में भी गिरावट दर्ज की गयी।

त्योहरों से पहले खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के लिये कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से अर्थव्यवस्था को उबारने को लेकर आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये कर्ज की नीतिगत दर में कटौती करने का रास्ता और मुश्किल होगा।

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आधिकारिक आंकड़े के अनुसार विनिर्माण, खनन और बिजली उत्पादन क्षेत्र में उत्पादन कम रहने से अगस्त माह में औद्योगिक उत्पादन में 8 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर आधारित इन आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2020 में एक साल पहले के मुकाबले विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 8.6 प्रतिशत गिरावट आई है जबकि खनन क्षेत्र में 9.8 और बिजली क्षेत्र के उत्पादन में 1.8 प्रतिशत की गिरावट रही है।

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एक साल पहले अगस्त में भी आईआईपी में 1.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘‘कोविड- 19 महामारी फैलने के बाद के महीने के आंकड़ों को इस महामारी के प्रसार से पहले के माह के प्रदर्शन के साथ तुलना करना उचित नहीं होगा।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘प्रतिबंधों में धीरे धीरे दी गई ढील के बाद आर्थिक गतिविधियों में भी उसी के अनुरूप सुधार आया है। यह सुधार अलग अलग स्तर पर और आंकड़ों में भी आया है।’’

मुद्रास्फीति की बात की जाए तो राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सोमवार को जारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर इस वर्ष अगस्त में 6.69 प्रतिशत और सितंबर 2019 में 3.99 प्रतिशत थी।

इससे पहले, जनवरी 2020 में मुद्रास्फीति 7.59 प्रतिशत थी।

आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में बढ़कर 10.68 प्रतिशत हो गयी जो अगस्त में 9.05 प्रतिशत थी।

सब्जियों की महंगाई दर सितंबर महीने में बढ़कर 20.73 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व माह में 11.41 प्रतिशत थी। इसी प्रकार, फलों की मुद्रास्फीति अगस्त के मुकाबले सितंबर माह में बढ़ी।

इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सितंबर में खुदरा महंगाई दर में वृद्धि अनुमान से परे है।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि खाद्य वस्तुओं की ऊंची मुद्रास्फीति अस्थायी है। अनुकूल तुलनात्मक आधार प्रभाव और खरीफ फसलों की आवक के साथ इसमें गिरावट दिखेगी। लेकिन 2020-21 और इसी वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में औसत मुद्रास्फीति का आंकड़ा अधिक रह सकता है।’’

एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने भी कहा कि मुद्रास्फीति का आंकड़ा बाजार की उम्मीदों के विपरीत है। अगले कुछ महीनों में खाद्य वस्तुओं के दाम नरम होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘स्पष्ट रूप से अनुकूल मानसून और कृषि उत्पादन बेहतर रहने के बावजूद आपूर्ति संबंधी बाधाएं बनी हुई हैं...हमारी चिंता बिना वृद्धि के महंगाई दर बढ़ने का खतरा बढ़ने को लेकर है । आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष में भी नरम रुख बनाये रखने की बात कही है। लेकिन मुद्रस्फीति में वृद्धि निश्चत रूप से नीति निर्माताओं के लिये चिंता का कारण है।’’

सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया हुआ है। केंद्रीय बैंक नीतिगत दर पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। अक्टूबर 2019 तक मुद्रास्फीति करीब 4 प्रतिशत के आसपास थी।

पिछले सप्ताह, मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि खुदरा मुद्रास्फीति का चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में लक्ष्य के आसपास रहने का अनुमान है।

औद्योगिक उत्पादन के बारे में मिलवुड काने इंटरनेशनल के संस्थापक और सीईओ एन भट्ट ने कहा कि ओद्योगिक गतिविधियों को पूरी तरह से पटरी पर आने और वृद्धि के रास्ते पर लौटने में समय लगेगा। यह सरकार की कोविड-19 महामारी की रोकथाम को लेकर ‘लॉकडाउन’ के तहत आर्थिक गतिविधियों के लिये लगायी गयी पाबंदियों में छूट की मात्रा और औद्योगिक सामान के लिये मांग में तेजी पर निर्भर है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा, ‘‘अगस्त में आईआईपी में सालाना आधार पर 8 प्रतिशत ती गिरावट बाजार में जतायी जा रही संभावना के अनुरूप है। लेकिन हमारे 10 प्रतिशत की गिरावट के अनुमान से कम है। सभी क्षेत्रों में पिछले महीने के मुकाबले गिरावट की दर कम हुई है।’’

इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उपभोक्ता और निवेश को बढ़ावा देने के इरादे से सोमवार को 73,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की। इसमें कर्मचारियों को अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) के एवज में नकद वाउचर और अपने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को त्योहारों के मौके पर 10,000 रुपये ब्याज मुक्त अग्रिम धन देना शामिल हैं।

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