देश की खबरें | आरक्षण मामला : मुख्यमंत्री बघेल ने राज्यपाल पर भाजपा के दबाव में काम करने का आरोप लगाया

रायपुर, छह जनवरी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके पर आरक्षण संशोधन विधेयकों को मंजूरी देने में कथित देरी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दबाव में काम करने का आरोप लगाया और पूछा कि राज्य की जनता के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है।

राज्य विधानसभा द्वारा पारित आरक्षण विधेयकों पर राज्यपाल की सहमति को लेकर पिछले महीने से राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति है।

आरक्षण मुद्दे को लेकर राज्यपाल पर लगातार निशाना साध रहे बघेल ने शुक्रवार शाम ट्वीट किया, ‘‘झारखंड विधानसभा द्वारा आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 से 77 किए जाने का अनुमोदन किया गया, जिसे वहां के राज्यपाल द्वारा अटॉर्नी जनरल को उनके अभिमत के लिए भेजा गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक सरकार द्वारा आरक्षण का प्रतिशत 50 से 56 किए जाने के लिए तैयार अध्यादेश का वहां के राज्यपाल द्वारा अनुमोदन कर दिया गया।’’

बघेल ने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘‘छत्तीसगढ़ में जनभावनाओं के विपरीत विधानसभा द्वारा ‘सर्वसम्मति’ से पारित विधेयक को राज्यपाल महोदया द्वारा यहां के भाजपा नेताओं के दबाव में अनावश्यक रोक कर असंवैधानिक प्रक्रिया के तहत प्रश्न पर प्रश्न किए जा रहे हैं। एक देश, एक संविधान तो राज्य की जनता के साथ भेदभाव क्यों?’’

छत्तीसगढ़ विधानसभा में पिछले महीने तीन दिसंबर को छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 पारित किया गया था।

विधेयकों के अनुसार, राज्य में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक में राज्य में आरक्षण का कुल कोटा 76 फीसदी रखा गया है।

विधानसभा में विधेयक के पारित होने के बाद राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन भेजा गया था। तब राजभवन ने राज्य सरकार से 10 सवाल किए थे, जिसका जवाब राज्य सरकार ने दिया है। राजभवन के सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं।

विधेयकों को लेकर राज्यपाल की सहमति में कथित देरी को लेकर राजभवन और राज्य सरकार के बीच अब टकराव की स्थिति है।

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