देहरादून, 12 जुलाई उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की नियमावली तथा क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने शुक्रवार को कहा कि अधिनियम में विवाह और सहजीवन संबंधों के पंजीकरण को अनिवार्य लोगों को संरक्षण प्रदान करने के लिए किया गया है और समिति यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि पंजीकरण के दौरान लोगों द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी पूरी तरह गोपनीय रहे ।
संहिता को आम जनता के साथ साझा करने के लिए उसे वेबसाइट पर ‘अपलोड’ करने हेतु आयोजित एक कार्यक्रम में सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यूसीसी के क्रियान्वयन लिए नियम बनाने वाली समिति यह सुनिश्चित करेगी कि विवाह और सहजीवन संबंधों के पंजीकरण के समय लोगों द्वारा प्रदान की गयी जानकारी की गोपनीयता किसी भी परिस्थिति में भंग न हो ।’’
उन्होंने कहा कि यूसीसी की चार खंडों में तैयार रिपोर्ट को वेबसाइट ‘डब्लूडब्लूडब्लू डॉट यूसीसी डॉट यूके डॉट जीओवी डॉट इन’ पर शुक्रवार को ‘अपलोड’ कर दिया गया है ताकि लोग इसे देख सकें।
सिंह ने कहा कि आचार संहिता लागू होने के कारण यह रिपोर्ट पहले सार्वजनिक नहीं की गयी ।
यह पूछे जाने पर कि सहजीवन संबंधों में रह रहे 18 से 21 साल उम्र के युगल के माता-पिता को अनिवार्य रूप से सूचित किया जाना क्या उनकी निजता पर हमला नहीं है, सिंह ने कहा कि यह बहस का विषय है ।
उन्होंने कहा, ‘‘सहजीवन संबंध में रहने वाले 21 साल से अधिक उम्र के युगलों का डेटा पूरी तरह से संरक्षित रहेगा । लेकिन 18 से 21 साल की उम्र के बीच के युगलों के लिए (उन्हें मतदान का अधिकार होने के बावजूद) समिति का मानना है कि यह उम्र नाजुक है और युगलों की सुरक्षा के लिए उनके माता-पिता को भी विश्वास में रखा जाना चाहिए ।’’
सिंह ने कहा, ‘‘ यूसीसी के क्रियान्वयन के लिए नियमों को बनाने का काम जोर-शोर से चल रहा है और इसके जल्द ही पूरा होने की संभावना है ।’’
यूसीसी को अक्टूबर से लागू करने संबंधी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाल में बयान के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि समिति यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास कर रही है कि यह उसी समयसीमा में लागू हो जाए ।
इस वर्ष फरवरी में बुलाए गए उत्तराखंड विधानसभा के एक विशेष सत्र में दो दिनों तक चली लंबी चर्चा के बाद यूसीसी विधेयक पारित हुआ था। इसके बाद सिंह की अध्यक्षता में इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली बनाने हेतु एक समिति गठित की गयी थी ।
सिंह एक सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी हैं जो उत्तराखंड के मुख्य सचिव रह चुके हैं।
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