नयी दिल्ली, 27 अगस्त कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई में खींचतान और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ लंबी बैठक के बाद कहा कि उन्होंने अपने नेता को दिल की बात कह दी तथा ‘मुख्यमंत्री के तौर पर’ उनकी ओर से दिये गए निमंत्रण पर राहुल गांधी अगले सप्ताह राज्य का दौरा करेंगे।
राहुल गांधी के साथ करीब साढ़े तीन घंटे की मैराथन बैठक के बाद बाहर निकले बघेल ने मुख्यमंत्री पद के ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर पूछे गए सवाल का सीधा उत्तर नहीं दिया और सिर्फ यह कहा कि कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी एल पुनिया ने जो पिछले दिनों कहा था, उसके बाद कोई बात बाकी नहीं रह जाती।
दरअसल, राहुल गांधी के साथ गत मंगलवार को हुई बघेल और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव की बैठक के बाद पुनिया ने कहा था कि नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।
बघेल ने यह भी कहा कि राहुल गांधी के साथ बैठक में राजनीतिक मुद्दों और राज्य के विकास से जुड़ी योजनाओं पर चर्चा की गई।
उनके मुताबिक, अब ‘गुजरात मॉडल’ विफल हो चुका है तथा ऐसे में देश के सामने ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ को पेश करना है।
राहुल गांधी के आवास पर करीब साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और पीएल पुनिया मौजूद थे।
बैठक के बाद बघेल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। छत्तीसगढ़ के कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में भी चर्चा हुई। मैंने अपने नेता से दिल की बात कह दी।’’
बघेल ने कहा कि ‘मुख्यमंत्री के तौर पर’ उन्होंने राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ का दौरा करने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राहुल गांधी सबसे पहले कम से कम दो दिन के दौरे पर बस्तर पहुंचेंगे और फिर मैदानी इलाके और सरगुजा का भी दौरा करेंगे।
नेतृत्व के परिवर्तन के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘जब प्रभारी ने बात कह दी, उसके बाद कुछ बाकी नहीं रह जाता है।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मुख्यमंत्री आलाकमान ने बनाया है। जब तक आलाकमान चाहेगा तब तक रहूंगा।’’
इस बीच, बघेल के समर्थक करीब 60 विधायकों एवं पूर्व विधायकों ने कांग्रेस मुख्यालय में वेणुगोपाल से मुलाकात की।
इससे पहले करीब 20 विधायकों ने कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी एल पुनिया से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इन विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन नहीं करने और बघेल को ही मुख्यमंत्री बनाये रखने की पैरवी की।
मुख्यमंत्री बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के बीच चल रही तनातनी की स्थिति को देखते हुए विधायकों के दिल्ली पहुंचने से यह चर्चा गर्म है कि मुख्यमंत्री की ओर से कांग्रेस आलाकमान के समक्ष शक्ति प्रदर्शन करने का प्रयास है, हालांकि बघेल के करीबियों ने इससे इनकार किया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री का सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरा विश्वास है तथा शक्ति प्रदर्शन जैसी कोई बात नहीं है।
बघेल के समर्थक विधायक देवेंद्र यादव ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में हम छत्तीसगढ की जनता की सेवा कर रहे हैं। हम आलाकमान से बात करेंगे। सभी विधायक एकजुट हैं।’’
पिछले दिनों बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद बुधवार को रायपुर लौटने पर बघेल ने कहा था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आदेश से वह इस पद पर आसीन हुए हैं और उनके कहने पर तत्काल इस पद को त्याग देंगे।
साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री पद के ढाई—ढाई वर्ष के बंटवारे का राग अलाप रहे लोग प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें वह कभी सफल नहीं होंगे।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में दिसंबर, 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से मुख्यमंत्री बघेल और स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के बीच रिश्ते सहज नहीं रहे। सिंहदेव के समर्थकों का कहना है कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री को लेकर सहमति बनी थी और ऐसे में अब सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।
पिछले दिनों बघेल गुट और सिंहदेव गुट के बीच मतभेद उस वक्त और बढ़ गये, जब कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव पर आरोप लगाया था कि वह उनकी हत्या करवाकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। बृहस्पति सिंह को मुख्यमंत्री बघेल का करीबी माना जाता है।
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