ऑस्टिन ने पेंटागन में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम यह नहीं मानते कि राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ इन बलों का इस्तेमाल करने का अंतिम निर्णय ले लिया है, लेकिन उनके पास स्पष्ट रूप से ऐसा करने की क्षमता है।’’
इस बीच, मॉस्को में रूस सरकार ने बताया कि पुतिन ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से कहा कि पश्चिमी देशों ने रूस की सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर गौर नहीं किया।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस युद्ध शुरू नहीं करना चाहता, लेकिन वह पश्चिमी देशों को उसके सुरक्षा हितों को रौंदने नहीं देगा।
ऑस्टिन ने पुतिन से तनाव कम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि वह रूस द्वारा ‘‘दुष्प्रचार’’ किए जाने पर नजर रखे हुए हैं।
संवाददाता सम्मेलन में ऑस्टिन के साथ मौजूद ‘ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टॉफ’ के आर्मी जनरल़़ मार्क मिले ने यूक्रेन के निकट तैनात रूस की सेना की गंभीर तस्वीर पेश करते हुए कहा कि केवल जमीन, वायु और जल क्षेत्र में ही बलों को तैनात नहीं किया गया है, बल्कि रूस के पास साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की क्षमताएं भी है और उसके पास विशेष अभियान बल भी हैं। मिले ने कहा कि उन्होंने पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में यूक्रेन की सीमा के निकट रूसी बलों की तैनाती नहीं देखी। उन्होंने पुतिन ने संघर्ष के बजाय कूटनीतिक मार्ग अपनाने की अपील की।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बृहस्पतिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति को आगाह किया था कि इस बात की ‘‘स्पष्ट आशंका’’ है कि रूस फरवरी में उनके देश (यूक्रेन) के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
रूस ने यूक्रेन की सीमा के निकट 1,00,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है, जिससे इस क्षेत्र में युद्ध की आशंका तेज हो गई है। रूस ने लगातार इस बात से इनकार किया है कि वह यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) सहयोगियों का मानना है कि रूस युद्ध की ओर बढ़ रहा है तथा इसके लिए तैयारी कर रहा है। रूस की मुख्य मांगों में नाटो में यूक्रेन को शामिल नहीं करना और क्षेत्र से ऐसे हथियारों को हटाना शामिल है, जिससे रूस को खतरा हो सकता है।
अमेरिका और नाटो रूस की मुख्य मांगों को दृढ़ता से खारिज कर चुके हैं। हालांकि तनाव कम करने के लिए अमेरिका ने उन मुद्दों को रेखांकित किया है जिन पर वार्ता की जा सकती है। अब, रूस के राष्ट्रपति पुतिन इन प्रस्तावों पर फैसला करेंगे और इससे यह तय होगा कि यूक्रेन पर हमला होगा या नहीं।
इस बीच, क्रेमलिन (रूस के राष्ट्रपति कार्यालय) ने कहा है कि अमेरिका और नाटो की प्रतिक्रिया के बाद ‘‘उम्मीद की बहुत कम गुंजाइश बचती है।’’
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