जयपुर, 29 सितंबर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन संबंधी मंजूरी जल्द दिए जाने पर जोर दिया है।
गहलोत ने सभी सरकारी कार्मिकों के लिए सम्पत्ति की घोषणा अनिवार्य किए जाने की बात भी कही है।
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गहलोत ने मंगलवार को निर्देश दिए कि सरकारी कार्मिकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन स्वीकृति देने को लेकर निर्धारित समयावधि में निर्णय करने की पुख्ता व्यवस्था कायम की जाए।
उन्होंने कहा कि अभियोजन स्वीकृति में देरी से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ता है और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलता है।
गहलोत मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए एसीबी के कामकाज की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि विभागीय स्तर पर अभियोजन स्वीकृति में देरी होने पर मुख्य सतर्कता आयुक्त के पास प्रकरण भेजने की व्यवस्था को स्थानीय निकायों के कार्मिकों के लिए भी लागू किया जाए।
ब्यूरो को भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए गहलोत ने कहा कि सरकार के संवेदनशील, पारदर्शी व जवाबदेह सुशासन देने के संकल्प में एसीबी की बड़ी भूमिका है। ब्यूरो अपनी इंटेलीजेंस विंग (खुफिया शाखा) को और अधिक चौकस बनाकर अधिक मजबूती के साथ काम करे।
गहलोत ने निर्देश दिए कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए मुख्य सतर्कता अधिकारी लगाने की व्यवस्था को पुख्ता बनाया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि अखिल भारतीय सेवा, राज्य सेवा सहित राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रतिवर्ष की जाने वाली ऑनलाइन सम्पत्ति की घोषणा को सभी सरकारी कार्मिकों के लिए भी अनिवार्य किया जाए। इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आएगी तथा आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों को उजागर करने में एसीबी को मदद भी मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत के लिए एसीबी की हेल्पलाइन 1064 के अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया।
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