कांग्रेस को आर्थिक रूप से पंगु बनाने के सुनियोजित प्रयास में प्रधानमंत्री: सोनिया गांधी

कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने पार्टी के बैंक खातों को ‘फ्रीज’ (लेनदेन पर रोक) किए जाने के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री द्वारा कांग्रेस को आर्थिक रूप से पंगु बनाने का सुनियोजित प्रयास किया जा रहा है.

Sonia Gandhi (Photo- ANI)

नयी दिल्ली, 21 मार्च : कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने पार्टी के बैंक खातों को ‘फ्रीज’ (लेनदेन पर रोक) किए जाने के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री द्वारा कांग्रेस को आर्थिक रूप से पंगु बनाने का सुनियोजित प्रयास किया जा रहा है. सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस को उसके बैंक खातों के इस्तेमाल की अनुमति दी जानी चाहिए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस को बराबर धरातल पर चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सत्तापक्ष की तरफ से यह ‘खतरनाक खेल’ खेला जा रहा है.

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि देश में लोकतंत्र नहीं बचा है और कांग्रेस पार्टी के खातों को नहीं बल्कि लोकतंत्र को ‘फ्रीज’ कर दिया गया है. कांग्रेस के तीन शीर्ष नेताओं ने उस समय एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया है जब गत 13 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आयकर अपीलीय अधिकरण (आईटीएटी) के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें 100 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया कर की वसूली के लिए कांग्रेस पार्टी को आयकर विभाग की ओर से जारी नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था. हालांकि, उच्च न्यायालय ने पार्टी को तब नये स्थगन आवेदन के साथ आईटीएटी का रुख करने की स्वतंत्रता दी जब उसके ध्यान में लाया गया कि बैंक ड्राफ्ट के नकदीकरण के बाद आयकर विभाग द्वारा 65.94 करोड़ रुपये की राशि पहले ही वसूल की जा चुकी है. यह भी पढ़ें : JP Nadda on Congress: कांग्रेस के आरोपों पर जेपी नड्डा बोले – ‘नैतिक और बौद्धिक रूप से दिवालिया हो गई है कांग्रेस’

सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को आर्थिक रूप से पंगु बनाने का सुनियोजित प्रयास किया जा रहा है. जनता से एकत्रित धन को रोका जा रहा है और हमारे खातों से जबरन पैसा छीना जा रहा है." उन्होंने यह भी कहा, ‘‘इन सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी हम अपने चुनाव अभियान की प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं.’’ सोनिया गांधी के अनुसार, "एक तरफ ‘चुनावी बॉण्ड’ का मुद्दा है, जिसे उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक करार दिया है. जैसा कि सभी जानते हैं, चुनावी बॉण्ड से भाजपा को भारी और बड़े पैमाने पर फायदा हुआ है. दूसरी ओर, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की वित्तीय स्थिति पर लगातार हमले हो रहे हैं."

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी का मानना है कि यह अभूतपूर्व और अलोकतांत्रिक है.’’ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संवाददाताओं से कहा, "लोकतंत्र के लिए चुनाव अनिवार्य होता है, साथ ही यह भी आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर वाली स्थिति हो." उन्होंने कहा, "ये नहीं कि जो सत्ता में हैं, संसाधनों पर उनका एकाधिकार हो और देश की संस्थाओं पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनका नियंत्रण हो." खरगे ने कहा, "उच्चतम न्यायालय ने जिस चुनावी चंदे की योजना को अवैध व असंवैधानिक कहा, उस योजना के तहत भाजपा ने हजारों-करोड़ रुपए अपने बैंक खातों में भर लिए हैं. वहीं, दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल (कांग्रेस) के बैंक खातों से लेनदेन पर रोक लगा दी गई, ताकि हम पैसों के अभाव में बराबरी के साथ चुनाव न लड़ पाएं." उन्होंने आरोप लगाया कि यह सत्ताधारी दल द्वारा खेला गया एक खतरनाक खेल है.

खरगे का कहना था, ‘‘देश की संवैधानिक संस्थाओं से अपील करता हूं कि अगर वो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं तो हमारी पार्टी को बग़ैर किसी रोक-टोक के बैंक खातों को इस्तेमाल करने दें. जो आयकर का क्लेम है उसका समाधान अंततः अदालत के निर्णय के अनुसार हो जाएगा.’’

उनके मुताबकि, ‘‘ राजनीतिक दल कर नहीं देते, भाजपा ने भी कभी नहीं दिया. इसके बाद भी अगर हमसे यह मांगा जा रहा है, तो हम न्यायालय के अंतिम निर्णय का इंतज़ार करेंगे.’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘18 वीं लोक सभा का चुनाव दुबारा नहीं होगा, इसलिए समान अवसर की स्थिति बने रहने के लिए ये आवश्यक है कि हमारे खातों पर लगी रोक तुरंत हटाई जाए.’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश में लोकतंत्र नहीं बचा है और कांग्रेस पार्टी के खातों को नहीं बल्कि लोकतंत्र को ‘फ्रीज’ कर दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के सारे बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं. लेकिन इस बारे में चुनाव आयोग, मीडिया, कोर्ट और देश की सारी संस्थाएं खामोश हैं. ये लोकतंत्र के लिए बहुत घातक है.’’

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