प्रधानमंत्री ने शिवराज के नाम और काम से कन्नी काट ली : कांग्रेस
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नयी दिल्ली, 25 सितंबर: कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा के बाद सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम एवं काम से कन्नी काट ली तथा भारतीय जनता पार्टी ‘कार्यकर्ताओं का महाकुंभ’, ‘जुमलों का महाकुंभ’ साबित हुआ. पार्टी महासचिव और मध्य प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि पिछले 18 वर्षों के दौरान मध्य प्रदेश के युवाओं ने केवल भ्रष्टाचार और कुशासन देखा है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस और उसके नए ‘घमंडिया’ गठबंधन के सहयोगियों ने संसद में महिला आरक्षण विधेयक का "अनिच्छा से" समर्थन किया क्योंकि उनके पास कोई रास्ता नहीं था. उन्होंने लोगों को चेतावनी दी कि अगर उन्हें (विपक्षी गठबंधन) मौका दिया गया तो वे इससे (इस विधेयक से) पीछे हट जायेंगे. भाजपा कार्यकर्ताओं की एक विशाल सभा 'कार्यकर्ता महाकुंभ' को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधा तथा पार्टी की तुलना 'जंग लगे लोहे' से की और आरोप लगाया कि इसे अब कांग्रेस के नेता नहीं बल्कि कुछ ‘‘ अर्बन नक्सलियों ’’ द्वारा चलाया जा रहा है तथा इसके नारों से लेकर नीतियों तक हर चीज ‘आउट सोर्स’ की जा रही है.

प्रधानमंत्री की इस सभा के बाद सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज मध्‍य प्रदेश में भाजपा का कार्यकर्ता महाकुंभ, जुमलों का महाकुंभ न‍िकला। श‍िवराज सरकार की एक भी योजना प्रधानमंत्री ग‍िना नहीं पाए. श‍िवराज के नाम और काम से प्रधानमंत्री ने कन्‍नी काट ली.’’ उन्होंने दावा किया कि भाजपा का कार्यकर्ता महाकुंभ फ्लॉप शो साब‍ित हुआ. रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश में पहली बार वोट देने जा रहे युवाओं ने पिछले 18 साल में क्या देखा? युवाओं ने देखा कि व्यापम घोटाले में एक करोड़ युवाओं का भविष्य बर्बाद हुआ, पटवारी परीक्षा में 15 लाख रू का पेपर बिका , 19 हजारा बेरोजगार युवकों और छात्राओं ने खुदकुशी की.’’

उन्होंने यह दावा किया, ‘‘ भाजपा की 18 वर्षों की सरकार में मध्य प्रदेश की बहनों के साथ धोखा किया गया, 44 लाख उज्ज्वला बहनें महंगाई के कारण रसोई गैस नहीं भरवा पाईं, 18 लाख उज्ज्वला बहनें सिर्फ एक सिलेंडर भरवा पाईं. चिकित्सा में आयुष्मान घोटाला हुआ. ’’उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में इन 18 वर्षों के दौरान 20 हजार किसानों ने आत्महत्या की और आदिवासियों और दलितों पर अत्याचार हुए.

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